नई दिल्ली: नवगठित राजनीतिक पार्टी स्वराज इंडिया ने संघ लोक सेवा आयोग जैसे संवैधानिक संस्थान द्वारा पारदर्शिता के मानकों पर खरा नहीं उतरने पर अफ़सोस जताई है। पार्टी ने सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे प्रतियोगी छात्रों की इस माँग का समर्थन किया है कि प्रारंभिक परीक्षा के समापन के तुरंत बाद उत्तर कुंजी सार्वजनिक की जाए, जैसा कि अन्य प्रतियोगिता परीक्षाओं और राज्य लोक सेवा आयोग भी पालन कर रहे हैं।
संघ लोक सेवा आयोग प्रारंभिक परीक्षा के लिए उत्तर कुंजी तब तक जारी नहीं करती है जब तक कि तीनों चरण की परीक्षा पूरी न हो जाये। जिसका नतीजा यह होता है कि उत्तर कुंजी जारी होते होते एक वर्ष से अधिक समय बीत चुका होता है। मतलब उत्तर कुंजी तब मिलती है जब छात्रों ने अगले साल की प्रारंभिक परीक्षा भी लिख ली होती है। अकारण ऐसा विलंब उत्तर कुंजी को ही अप्रासंगिक बना देता है। यह भी बता दें कि प्रारंभिक परीक्षा में मिले अंकों का अंतिम वरीयता सूची में योगदान नहीं है इसलिए प्रतियोगियों के अंक या उत्तर कुंजी को रोक के रखने का कोई तर्क नहीं है।
आयोग की इस परंपरा के ख़िलाफ़ सीआईसी ने मृणाल मामले (फाइल नं: सीआईसी/एसएम/उत्तर 2012/001599) में एक कड़ा फ़ैसला सुनाया था। इसके बावजूद संघ लोक सेवा आयोग ने पारदर्शिता बहाल करने की कोशिशों पर रोक लगा रखी है। आयोग का कहना है कि “सिविल सेवा परीक्षा की सम्पूर्ण प्रक्रिया (सभी तीन चरणों) पूरी होने से पहले परीक्षा के प्रारंभिक चरण के बारे में जानकारी देने से, पूरी प्रक्रिया प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो सकती है।”
पारदर्शिता की यह कमी चिंताजनक है क्यूंकि कई प्रतियोगी छात्रों ने प्रश्न या उत्तर कुंजी के संबंध में सवाल किए हैं। इस साल भी, प्रारंभिक परीक्षा के जनरल स्टडीज़ पेपर 1 में कम से कम चार ऐसे प्रश्न थे जिनके उत्तर स्पष्ट नहीं हैं। किसी तरह की गलती को ठीक करना तो दूर, संघ लोक सेवा आयोग ने माना ही नहीं है कि कोई सवाल भी है। इसलिए जिन छात्रों को इसके कारण परीक्षा की प्रक्रिया से बाहर होना पड़ा, उनके पास चुप चाप अन्याय झेलने या अदालत का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
छात्रों के कई मुहीम का नेतृत्व कर चुके स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा, “संघ लोक सेवा आयोग को परीक्षा आयोजित करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 320 (1) के तहत जनादेश मिला है। इस अनुच्छेद के अनुसार यूपीएससी का यह भी कर्तव्य है कि परीक्षाओं का संचालन एक ईमानदार और पारदर्शी तरीके से हो।”
यूपीसीसी परीक्षाओं में पारदर्शिता की घोर कमी बताते हुए पार्टी के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुपम ने इस संस्कृति में बदलाव की मांग की। उन्होंने कहा, “अगर भारत के अन्य राज्यों के लोक सेवा आयोग मुख्य परीक्षा से पहले उत्तर कुंजी और उत्तर कुंजी पर आपत्ति स्वीकार कर सकते हैं, तो यूपीएससी इस प्रक्रिया का पालन करने से क्यों पीछे हट रही है? आयोग ऐसा क्यों सोचता है कि उनके खिलाफ हर आपत्ति या सवाल ही ग़लत या बचकाना है? आयोग के ऐसे तौर तरीके सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता या विश्वसनीयता के सिद्धांतों के खिलाफ है।”
अनुपम ने बताया कि केंद्र सरकार यदि छात्रों की इन वाजिब मांगों पर सुनवाई नहीं करती है तो स्वराज इंडिया संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाओं में पारदर्शिता की कमी का मुद्दा मजबूती से उठाएगी।