-भारतीय हेल्थकेयर बाज़ार में एम-हेल्थ एप्स का बढ़ता चलन, पाकिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात और नेपाल ‘ऑनलाइन मेडिसन’ सर्च के मामले में भारत से पीछे, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और हरियाणा ‘ऑनलाइन मेडिसन एप्स’ की खोज में भारत में शीर्ष 3 स्थान पर।
जयपुर.प्रमुख इंटरनेट सर्च इंजन ‘गूगल’ का एनालिटिक प्लेटफार्म ‘गूगल ट्रेंड्स’ इस बात का गवाह है कि अन्य देशों की तुलना में भारत में ‘ऑनलाइन मेडिसन एप्स’ कहीं अधिक ज्यादा सर्च किए जा रहे हैं। भारत के बाद पाकिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात और नेपाल ऐसे देशों की सूची में है जो ऑनलाइन मेडिसन और हेल्थ सर्विस प्लेटफाम्र्स की ऑनलाइन सर्च कर रहे हैं।
‘गूगल ट्रेंड्स’ का डाटा दिखाता है कि ‘ऑनलाइन मेडिसन एप्स’ पर सबसे प्रासंगिक की-वड्र्स के मामले में भारत शीर्ष पांच देशों में रैंकिंग कर रहा है। गूगल किए जाने के दौरान उपयोग किए गए कुछ सामान्य खोज शब्द ‘बाय ऑनलाइन मेडिसन’, ‘मेडिकल एप’, ‘बाय मेडिसन’ आदि हैं। नीचे दिए गए स्क्रीनशॉट में ‘ऑनलाइन मेडिसन’ पर सर्च के लिए पिछले 12 महीनों के रुझान को दर्शाया गया है जो कि स्पष्ट रूप से ‘एम-हेल्थ’ प्लेटफाम्र्स की बढ़ती मांग को दिखाता है। ऑनलाइन मेडिसन पर सर्च के मामले में भारतीय राज्यों का विश्लेषण करने पर देखा गया कि पश्चिमी बंगाल, हरियाणा, दिल्ली, झारखंड और ओडिशा शीर्ष पांच राज्य हैं जहां लोग ऑनलाइन दवाइयों और
मेडिकल एप्स के लिए गूगल कर रहे हैं। 0 से 100 तक के ग्राफ स्केल पर , शृंखला में शीर्ष 100 नंबर मान कर अन्य सभी डाटा को इस नंबर पर सामान्यीकृत किया गया है। हालांकि, ग्राफ वास्तविक खोजों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है।
राजस्थान स्थित ‘एम-हेल्थ’ सेवा प्रदाता मनीष मेहता, ‘मेरापेशेंट’ एप के फाउंडर और चेयरमैन, ने बताया, ‘जीवनशैली की बीमारियों के बढने और कुछ विशिष्ट वायरस को लेकर लोगों में चिंता बढ़ी है क्योंकि अपर्याप्त बुनियादी ढांचे और संसाधनों के कारण बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल मिलना चुनौतीपूर्ण हो गया है।
मुख्य रूप से स्मार्ट डेटा मैनेजमेंट और लॉजिस्टिक मैनेजमेंट की कमी के कारण। वहीं, दूसरी तरफ, देश की आबादी में तकनीक को लेकर जागरूकता बढ़ रही है और स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने के सुविधाजनक तरीकों की मांग बढ़ी है। इस बदलती हुई प्रवृत्ति के उपर्युक्त आंकड़े भारतीय स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े सभी लोगों को भारत में ‘एम-हेल्थ’ को व्यापक रूप से अपनाने के लिए सामूहिक प्रयास करने के लिए प्रेरित करते हैं।’ भारत में, ई-फार्मेसी बाजार का अनुमानित आकार 1000 करोड़ रुपए है जो परंपरागत भारतीय फार्मा बाजार का सिर्फ 1फीसदी है। यह अनुमान लगाया गया है कि 2025 तक इसका कुल आकार 10-15 फीसदी तक बढ़ सकता है। ई-फार्मेसी या एम-हेल्थ की इस अपेक्षित वृद्धि के साथ, 8.5 लाख ऑफलाइन कैमिस्ट की आजीविका में चुनौतियां भी बढ़ेगी।
एक वैकल्पिक हेल्थकेयर समाधान के रूप में एम-हेल्थ को अपनाने का दायरा तेजी से बढ़ रहा है। इप्सोस के एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार भारत में 82 फीसदी इंटरनेट उपयोगकर्ताओं ने कहा है कि वे इंटरनेट के बिना नहीं रह सकते हैं। हाल ही नई दिल्ली में आयोजित इंडिया इंटरनेट डे के सातवें संस्करण में विशेषज्ञों ने कहा कि जून में भारत में मोबाइल इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 500 मिलियन तक पहुंच जाएगी वहीं 2020 तक देश में अनुमानित रूप से 702 मिलियन स्मार्टफोन उपयोगकर्ता होंगे। आंकड़ों के अनुसार अधिक से अधिक भारतीय इंटरनेट तक पहुंच बना रहे हैं और वह भी अपने स्मार्ट फोन पर। व्यवहार में यह उल्लेखनीय और लगातार परिवर्तन एम-हेल्थ को अपनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है। एम-हेल्थ एप्स के मुफ्त में उपलब्ध होने से स्वास्थ्य देखभाल के बाजार में इसकी संभावनाएं और बढ़ जाती है।