Raphael-Aircraft

नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना की मौजूदा ताकत वर्ष 2019 में दस गुना बढ़ जाएगी। फ्रांस से आने वाले 36 राफेल एयरक्राफ्ट को लाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस संबंध में सन 2016 में ही फ्रांस और भारत के बीच डील हो चुकी है। फांस से आने वाले इजरायल टेक्नोलॉजी के 36 राफेल में से 18 एयरक्राफ्ट हसिमारा एयर स्टेशन (पश्चिम बंगाल)और 18 देश के सबसे पुराने अंबाला छावनी स्थित एयरफोर्स स्टेशन में रखे जाएंगे। अंबाला एयरफोर्स को इतने ताकतवर एयरक्राफ्ट पहली बार मिल रहे हैं। अंबाला को चुने जाने का मुख्य कारण पाकिस्तान और चीन के नजदीक होना है। राफेल को सुपर सोनिक एयरक्राफ्ट कहा जाता है। यह हवा से जमीन पर करीब 150 किलोमीटर दूर दुश्मन देश पर प्रहार कर सकता है। इसमें थाले आरबीई-2 रडार, थाले स्पेक्ट्रा वारफेयर सिस्टम, ऑप्ट्रॉनिक सेक्योर फ्रंटल इंफ्रा-रेड सर्च और ट्रैक सिस्टम भी लगा होता है जो सामान्य एयरक्राफ्ट में नहीं होते है। दुश्मन देश पर परमाणु बम गिराने में भी राफेल का नाम सबसे पहले आता है, क्योंकि इसकी स्पीड मिग और जगुआर से भी कहीं अधिक है।

सूत्रों का कहना है कि अंबाला एयरफोर्स स्टेशन में इन राफेल एयरक्राफ्ट को खड़ा करने के लिए शेल्टर बनाने का काम शुरू हो गया है। सितंबर 2018  में शेल्टर का काम पूरा करके इसकी रिपोर्ट रक्षा मंत्रालय को दी जानी है। देश में आने वाले 18 एयरक्राफ्ट को मॉडीफाई करने का काम अंबाला छावनी एयरफोर्स स्टेशन में ही किया जाएगा। इसमें नये दौर की दृश्य से ओझल होने में सक्षम ‘मिटिअर मिसाइल और इस्राइली प्रणाली भी शामिल की गई है। राफेल एयरक्राफ्ट जिस भी देश की सीमा में जाएगा वहां करीब 100 मीटर के दायरे में उनके रडार को जाम कर देगा। मतलब दुश्मन देश को हमारे देश के इस राफेल एयरक्राफ्ट की लोकेशन ही नहीं मिलेगी जिससे कि उसे दुश्मन देश पर वार करने में आसानी होगी। राफेल विमान की  लंबाई 15.27 मीटर है और इसमें दो पायलट बैठ सकते हैं। राफेल ऊंचे इलाकों में लडऩे में माहिर है। यह एक मिनट में 60 हजार फुट की ऊंचाई तक जा सकता है। इसकी अधिकतम भार उठाकर उडऩे की क्षमता 24500 किलोग्राम है। राफेल की अधिकतम रफ्तार 2200 से 2500 तक किमी प्रतिघंटा है। इसमें 1.30 एमएम की एक गन लगी होती है जो एक बार में 125 राउंड गोलियां निकाल सकती है।

 

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