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DELHI.बढ़ते वैश्विक संरक्षणवाद के बावजूद भारत से होने वाले निर्यात में आगे भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज होती रहेगी और चालू वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 350 अरब अमेरिकी डॉलर को छू लेने की आशा है। यह बात केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग और नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु ने आज नई दिल्ली में कही। मंत्री महोदय एसोचैम द्वारा आयोजित द्वितीय सेवा उत्कृष्टता पुरस्कार एवं शिखर सम्मेलन- 2018 को संबोधित कर रहे थे। मंत्री महोदय ने कहा कि सेवा क्षेत्र द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था को उल्लेखनीय तेज गति प्रदान किया जाना तय है और यह वर्ष 2025 तक 3 ट्रिलियन (लाख करोड़) डॉलर से लेकर 5 ट्रिलियन डॉलर तक योगदान करेगा।

सेवा क्षेत्र (सर्विस सेक्टर) को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वाणिज्य मंत्रालय ने 12 प्रमुख (चैम्पियन) सेवा क्षेत्रों की पहचान की है जिसके लिए कैबिनेट ने 5000 करोड़ रुपये के एक समर्पित कोष को मंजूरी दी है, ताकि क्षेत्रवार त्वरित गति के लिए आवश्यक पहलों को सहयोग प्रदान किया जा सके। मंत्री महोदय ने यह भी कहा कि सेवा क्षेत्र भारत की बढ़ी हुई उत्पादकता एवं प्रतिस्पर्धी क्षमता में उल्लेखनीय योगदान देता है। वहीं, चैम्पियन सेवा क्षेत्रों की उच्च गुणवत्ता भारत से विभिन्न सेवाओं के निर्यात को और ज्यादा बढ़ावा देगी तथा इसके साथ ही रोजगार सृजन को भी काफी बढ़ावा मिलेगा। सुरेश प्रभु ने यह भी कहा कि भारत अफ्रीका के कई देशों के साथ-साथ लैटिन अमेरिका को भी सेवाओं का निर्यात बढ़ाने पर विशेष जोर दे रहा है।

भारत ने अपने व्यापारिक साझेदारों के साथ एक द्विआयामी एजेंडा तैयार किया हैः भारत से प्रोफेशनलों को विदेश यात्रा की अनुमति देना और सेवा निर्यात में व्यापार संबंधी सहूलियत प्रदान करना। मंत्री महोदय ने एसोचैम का आह्वान किया कि वह सेवाओं के लिए विदेश जाने वाले प्रोफेशनलों के उच्च मानकों को बनाए रखें, ताकि निर्यात की जाने वाली सेवाएं उच्च गुणवत्तापूर्ण रह सकें। इस अवसर पर मंत्री महोदय ने एसोचैम एवं उसके ज्ञान साझेदार रिसर्जेंट इंडिया द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई एक ज्ञान अध्ययन रिपोर्ट जारी की और इसके साथ ही 28 सेवा श्रेणियों में उत्कृष्टता पुरस्कार प्रदान किए।

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