नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पूर्व दिवगंत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को देश की सबसे स्वीकार्य और ताकतवर प्रधानमंत्री बताया है। फैसले लेने में वह तनिक भी विचलित नहीं होती थी। इसी गुण के दम पर कांग्रेस में विभाजन और आपातकाल में हार के बाद भी पार्टी को बांधे रखा और सत्ता में लेकर आई। राष्ट्रपति मुखर्जी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जीवनी पर आधारित एक किताब के विमोचन पर बोल रहे थे। उन्होंने अप्रत्यक्ष तौर पर कांग्रेस नेतृत्व को इंदिरा गांधी से सीख लेने की कहते हुए कहा कि इंदिरा की बहादुरी, हिम्मत और टीम भावना के बारे में बताया। देश में आज भी इंदिरा गांधी सबसे स्वीकार्य और ताकतवर प्रधानमंत्री है। वह बीसवीं सदी की सबसे मजबूत और जननायक प्रधानमंत्री है। प्रणब मुखर्जी ने 1977 में मिली हार के बारे में बताते हुए कहा कि उस समय वे इंदिरा मंत्रिमण्डल में जूनियर मंत्री थे। उस हार पर इंदिरा ने कहा कि इससे हतोत्साहित व घबराने की जरुरत नहीं है, बल्कि यह काम करने का समय है। उन्होंने उस दौरान बहुत काम किया और पार्टी को फिर से सत्ता में लेकर आई। पुस्तक विमोचन के दौरान उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई नेता मौजूद थे। इंडियाज इंदिरा: ए सेंटेनियल ट्रिब्यूट विषयक इस किताब की प्रस्तावना कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लिखी है।
– इंदिरा गांधी मेरी मित्र थी: सोनिया
इस कार्यक्रम में सोनिया गांधी को आना था, लेकिन तबीयत खराब होने के चलते वह नहीं आ सकी। उनके भाषण को राहुल गांधी ने पढ़ा। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी में देशभक्ति का जज्बा बहुत था। वह देश के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती थी। यह जज्बा उन्हें स्वतंत्रता संग्राम और उनके सेनानियों से मिला। वह मेरी सलाहकार और मित्र थी। कभी भी उन्होंने अपनी इच्छा मेरे ऊपर नहीं डाली। इंदिरा गांधी जाति, सम्प्रदाय और पद के भेदभाव को पसंद नहीं करती थी।

LEAVE A REPLY