नयी दिल्ली : वृहत आर्थिक मोर्चे पर आज मिली-जुली खबर रही। विनिर्माण व पूंजीगत वस्तुएं क्षेत्र के शानदार प्रदर्शन के दम पर नवंबर 2017 में जहां औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 17 महीने के उच्चतम स्तर 8.4 प्रतिशत पर पहुंच गयी वहीं दिसंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति बढ़कर 5.2 प्रतिशत हो गयी जो 17 महीने का उच्च स्तर है। महंगाई दर बढ़ने से रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दर में कटौती की संभावना घटी है। मुद्रास्फीति में लगातार वृद्धि से केंद्रीय बैंक अगले महीने की मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों के मोर्चे पर यथास्थिति कायम रख सकता है। आम बजट एक फरवरी को पेश होगा और उसके कुछ दिन बाद ही केंद्रीय बैंक की मौद्रिक समीक्षा बैठक है।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा आज जारी आंकड़ों के अनुसार, नवंबर 2016 में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 5.1 प्रतिशत थी। इससे पहले इससे ऊुंची वृद्धि जून 2016 में हुई थी जबकि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक सालाना आधार पर 8.9 प्रतिशत बढ़ा था। औद्योगिक उत्पादन में 77.63 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले विनिर्माण क्षेत्र में नवंबर में 10.2 प्रतिशत की शानदार वृद्धि हुई थी। नवंबर 2016 में इस क्षेत्र में चार प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गयी थी। दवा, चिकित्सकीय रसायन और वनस्पति उत्पादों के विनिर्माण में सर्वाधिक 39.5 प्रतिशत की वृद्धि रही। इसके बाद कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक व ऑप्टिकल उत्पादों के विनिर्माण में 29.1 प्रतिशत तथा परिवहन कल-पुर्जों के विनिर्माण में 22.6 प्रतिशत की वृद्धि देखी गयी।
पूंजीगत वस्तुओं में नवंबर 2016 के 5.3 प्रतिशत की तुलना में नवंबर 2017 में 9.4 प्रतिशत की तेजी रही। टिकाऊ उपभोक्ता उत्पाद क्षेत्र की वृद्धि दर इस दौरान 3.3 प्रतिशत से बढ़कर 23.1 प्रतिशत पर पहुंच गयी। हालांकि आलोच्य माह के दौरान खनन क्षेत्र की उत्पादन वृद्धि 8.1 प्रतिशत से कम होकर 1.1 प्रतिशत पर आ गयी। विद्युत उत्पादन वृद्धि भी 9.5 प्रतिशत से कम होकर 3.9 प्रतिशत पर आ गयी। इस दौरान 23 में से 15 उद्योग समूहों में सालाना आधार पर उत्पादन ऊंचा रहा।
वहीं दूसरी ओर खाद्य वस्तुओं, अंडे और सब्जियों के दाम बढ़ने से दिसंबर में खुदरा मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 5.21 प्रतिशत पर पहुंच गई है। यह भारतीय रिजर्व बैंक के संतोष जनक स्तर से अधिक है। इससे निकट भविष्य में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें धूमिल हुई हैं। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति नवंबर में 4.88 प्रतिशत पर थी। दिसंबर, 2016 में यह 3.41 प्रतिशत पर थी। सरकार ने रिजर्व बैंक से मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत रखने को कहा है जो अल्प अवधि में उससे दो प्रतिशत से अधिक ऊपर या नीचे नहीं जानी चाहिए। मुद्रास्फीति के इस समय सुखद स्तर से ऊपर जाने के रुझान से केंद्रीय बैंक पर रेपो दर में कटौती नहीं करने का दबाव पड़ेगा।
रिजर्व बैंक की अगली द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा 7 फरवरी को है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय :सीएसओ: द्वारा आज जारी आंकड़ों के अनुसार दिसंबर में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति बढ़कर 4.96 प्रतिशत हो गई, जो इससे पिछले महीने 4.42 प्रतिशत पर थी। आंकड़ों के अनुसार अंडे, सब्जियां और फल इस दौरान महंगे हुए जबकि मोटे अनाजों तथा दलहन की कीमतों में कमी आई। जुलाई, 2016 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 6.07 प्रतिशत के उच्चस्तर पर थी। सीएसओ के आंकड़ों के अनुसार नवंबर, 2016 में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 5.1 प्रतिशत थी। इस बीच, अक्तूबर 2017 के औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर के आंकड़ों को नीचे की ओर संशोधित कर दो प्रतिशत किया गया है। इसका अस्थायी अनुमान 2.2 प्रतिशत का था।