delhi. श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संतोष कुमार गंगवार ने आज लोकसभा में औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक, 2019 पेश किया। विधेयक पेश करते हुए श्री गंगवार ने कहा कि ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों, कर्मचारी संगठनों और राज्य सरकारों के साथ व्यापक सलाह-मशविरा करने के बाद यह संहिता तैयार की गई है। इस विधेयक का लक्ष्य ट्रेड यूनियनों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों या उपक्रमों में रोजगार की सेवा शर्तों और औद्योगिक विवादों की जांच एवं निपटान से संबंधित कानूनों को समेकित एवं संशोधित करना है।
औद्योगिक संबंध संहिता का मसौदा इन तीन केन्द्रीय श्रम अधिनियमों यथा ट्रेड यूनियन अधिनियम, 1926; औद्योगिक रोजगार (स्थायी आदेश) अधिनियम, 1946 और औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के संबंधित प्रावधानों के विलय, सरलीकरण एवं उन्हें तर्कसंगत बनाने के बाद तैयार किया गया है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 20 नवम्बर, 2019 को औद्योगिक संबंध संहिता, 2019 को मंजूरी दी।
लाभ :
·दो सदस्यीय ट्रिब्यूनल (एक सदस्य के स्थान पर) के गठन के जरिए एक ऐसी अवधारणा शुरू की गई है, जिससे कुछ महत्वपूर्ण मामलों पर संयुक्त रूप से अधिनिर्णय किया जाएगा, जबकि शेष मामलों पर एकल सदस्य द्वारा अधिनिर्णय लिया जाएगा, जिससे मामलों को तेजी से निपटाया जा सकेगा।
·‘एक्जिट’ प्रावधानों (छंटनी इत्यादि से संबंधित) में लचीलापन आएगा, जिसके तहत उपयुक्त सरकार की पूर्व मंजूरी के लिए आवश्यक आरंभिक सीमा को 100 कर्मचारियों के स्तर पर यथावत रखा गया है। हालांकि, इसमें एक प्रावधान भी जोड़ा गया है, जिसके तहत अधिसूचना के जरिए ‘कर्मचारियों की इस तरह की संख्या’ को बदला जा सकता है।
· री-स्किलिंग फंड, जिसका उपयोग उस तरीके से कामगारों को ऋण देने में किया जाएगा, जिसे अभी निर्धारित किया जाना बाकी है।
· निश्चित अवधि वाले रोजगार की परिभाषा। इसके तहत कोई नोटिस अवधि नहीं होगी तथा छंटनी पर मुआवजे का भुगतान शामिल नहीं है।
· जुर्माने के रूप में पेनाल्टी से जुड़े विवादों पर अधिनिर्णय के लिए सरकारी अधिकारियों को अधिकार दिए जाएंगे, जिससे ट्रिब्यूनल का कार्यभार घट जाएगा।