जयपुर। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता और जिलाध्यक्ष प्रतापसिंह खाचरियावास ने कहा कि केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के बडे नेता रोज फिल्म महारानी पदमावती को लेकर बयान देते हैं तो क्या उनकी जिम्मेदारी नहीं बनती कि भारत के इतिहास को गौरवान्वित करने वाली, बलिदान, शौर्य और वीरता की प्रतीक महारानी पदमावती के इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने वाली फिल्म पर तुरन्त प्रभाव से रोक लगाई जाये। खाचरियावास ने कहा कि महारानी पदमावती भारतीय इतिहास में नारी चरित्र, सम्मान और गौरव के प्रतीक के रूप में भारतीय इतिहास को सुशोभित करती है। भारत की पहचान पूरी दुनिया में भारत के इतिहास, संस्कृति और परम्पराओं के कारण है। आज भारत के इतिहास को यदि तोड़-मरोड़कर फिल्म के जरिये दुनिया को दिखाया जायेगा तो भारत की अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बदनामी होगी। महारानी पदमावती और उनके साथ जौहर करने वाली सभी जाति-धर्म की 16 हजार महिलाओं ने भारत के इतिहास में बलिदान, शौर्य, वीरता और भारतीय नारी के ऊँचे चरित्र के आदर्षों को प्रदर्षित किया।

आज जो लोग फिल्म के समर्थन में बात करते हैं उन्हें यह समझ लेना चाहिये कि यदि फिल्म सही है तो उसे पहले दिखाने में क्या दिक्कत है? भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रहमण्य्यम स्वामी रोज बयान तो देते हैं लेकिन क्या उनकी जिम्मेदारी नहीं बनती कि वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बात करके महारानी पदमावती फिल्म पर रोक लगवाये। खाचरियावास ने कहा कि 3 जुलाई 2016 को राजस्थान सरकार के आरटीडीसी विभाग ने गलत ट्विट करके महारानी पदमावती के बारे में अलाउद्दीन खिलजी को लेकर गलत तथ्य प्रस्तुत किये थे, जिन्हें हमारे विरोध के बाद में हटा दिया गया। राजस्थान सरकार शुरु से ही इस मामले में गंभीर नहीं है और राज्य के गृहमंत्री गुलाबचन्द कटारिया गलत बयानबाजी कर रहे हैं जिससे आंदोलन और भड़क रहा है। वो कहते हैं कि पुलिस बल के जरिये फिल्म की सुरक्षा की जायेगी। उन्हें यह समझ लेना चाहिये कि राजस्थान में यह फिल्म प्रदर्शित नहीं होने दी जायेगी। ऐेसे में राज्य सरकार को लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुये महारानी पदमावती फिल्म पर रोक लगानी चाहिये। यदि राज्य और केन्द्र सरकार ने महारानी पदमावती फिल्म पर रोक नहीं लगाई और ऐसे में यदि कहीं भी, किसी भी तरह का आंदोलन भड़कता है और कानून व्यवस्था बिगड़ती है तो उसके लिये राज्य सरकार जिम्मेदार होगी।

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