High Court

इलाहाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आज एक निर्णय में अपनी जमीन पर निर्मित मस्जिद हटाने का निर्देश दिया।यह मस्जिद उच्च न्यायालय परिसर में अतिक्रमण कर बनाई गई थी।मुख्य न्यायाधीश दिलीप बी. भोसले और न्यायमूर्ति एम. के. गुप्ता की पीठ ने उत्तर प्रदेश सुन्नी केंद्रीय बोर्ड को इस अनाधिकृत निर्माण कोहटाने और तीन महीने के भीतर इस जमीन का कब्जा सौंपने का निर्देश दिया है।अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यदि बोर्ड इस अनाधिकृत निर्माण को हटाने और इसकी जमीन का कब्जा देने में विफल रहता है तो उच्चन्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को पुलिस बल की मदद से बलपूर्वक इसका कब्जा लेना पड़ेगा।यह विवादित जमीन उच्च न्यायालय के मुख्य भवन और अदालत के नवनिर्मित नौ मंजिला भवन के समीप स्थित है।

उच्च न्यायालय नेइलाहाबाद के निवासी अभिषेक शुक्ला की जनहित याचिका पर यह आदेश दिया।याचिकाकर्ता ने इस आरोप के साथ याचिका दायर की थी कि उच्च न्यायालय की जमीन पर अतिक्रमण करने के बाद एक मस्जिद कानिर्माण किया गया है।अदालत ने अपने आदेश में कहा, ह्लस्वयं उच्च न्यायालय को जमीन की कमी का सामना करना पड़ रहा है और इस वजह से न्यायाधीशों कोएक ही चैंबर में साथ बैठने के लिये कहा गया है। कुछ न्यायाधीश न्यायालय कक्ष की कमी की वजह से अपने चैंबरों में अदालतें लगाते हैं।अदालत ने कहा, ह्लइसके अलावा, जमीन की कमी की वजह से ही दमकल विभाग ने नवनिर्मित नौ मंजिला भवन को अनापत्ति प्रमाणपत्रजारी नहीं किया है।ह्व हालांकि अदालत ने कहा कि वक्फ बोर्ड के पास यह विकल्प खुला है कि वह नमाज पढ़ने के उद्देश्य से एक भूखंडआबंटित करने के लिए जिला प्रशासन से आवेदन करे।अपने फैसले में अदालत ने रजिस्ट्रार जनरल को किसी भी धर्म के किसी व्यक्ति को उस जगह धार्मिक गतिविधियां करने की अनुमति नहींदेने का भी निर्देश दिया।

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