दुनिया के कई शहरों के बाद दिल्ली में भी ड्राइवरलैस मेट्रो ट्रेन शुरु हो चुकी है। जल्द ही जयपुर में भी ड्राइवरलैस मेट्रो दौड़ सकती है। हालांकि ड्राइवरलैस मेट्रो के लिए जिस तरह के कोच चाहिए है, वे पहले फेज की मेट्रो में नहीं है। संभवतया: दूसरे फेज में ड्राइवरलैस मेट्रो का सपना साकार हो सकता है।
पूजा पाल जैन
जयपुर। आपने पुष्पक विमान के बारे में ‘रामायणÓ में खूब पढ़ा और सुना है। वह विमान बिना ड्राइवर के ही हवाई सफर कराता था। अभी तक यह भले ही हमारे लिए कोरी कल्पना मात्र था, लेकिन अब यह हकीकत बन चुका है। हमारे विशेषज्ञों ने भी ऐसी तकनीक ईजाद कर ली है। इस तकनीक के जरिए ही दुनियाभर में बिना ड्राइवर के मेट्रो ट्रेन दौड़ रही हैं। मशहूर कम्पनी गूगल भी बिना चालक के अपनी कार दौड़ा रही है और कई बड़ी कंपनियां भी इस प्रोजेक्ट पर रिसर्च कर रही है। चालक के बिना सफर के देशवासियों का यह सपना साकार कर दिया है कम्यूनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (सीबीटीसी) नामक तकनीक ने। इस तकनीक के जरिए अब आप देश की राजधानी दिल्ली में जल्द ही ड्राइवर रहित मेट्रो ट्रेन में सफर का आनंद ले सकेंगे। अभी हाल ही में दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) ने ड्राइवर रहित मेट्रो टे्रन का सफल ट्रायल मुकुंदपुर डिपो से मजलिस पार्क स्टेशन के बीच किया है। डीएमआरसी ने ड्राइवर रहित मेट्रो शुरु भी कर दी है। ईको फ्रेंडली इन ट्रेनों से एक चक्कर में करीब 15 से 20 मिनट का समय बचेगा। उधर, जयपुर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (जेएमआरसी) का कहना है कि जयपुर मेट्रो के कोच इस तरह से डिजाइन किए हुए नहीं हैं कि वे बिना ड्राइवर के दौड़े। हालांकि, मानसरोवर से चांदपोल तक चल रही मेट्रो का ऑटो मोड पर सफल ट्रायल हो चुका है। इस साल के अंत तक जयपुर मेट्रो पूरी तरह से ऑटो मोड पर ही दौड़ेगी। इसमें ड्राइवर मौजूद रहेगा, लेकिन वह सिर्फ दरवाजे खोलने और बंद करने का कार्य ही करेगा। जेएमआरसी की मानें तो जयपुर में बिना ड्राइवर के मेट्रो का सपना फेज-दो में संभव हो सकता है, जो परकोटे और अंबाबाडी से सीतापुरा के बीच प्रस्तावित है।
कई फीचर्स से लैस है दिल्ली की नई मेट्रो
– ड्राइवरलैस मेट्रो ट्रेन की स्पीड मौजूदा ट्रेन से 10 फीसदी ज्यादा होगी।
– मेट्रो के मौजूदा बेड़े में 14 ड्राइवरलैस ट्रेन शामिल की गई हैं। ड्राइवरलैस मेट्रो ट्रेन की स्पीड मौजूदा मेट्रो ट्रेन से 10 प्रतिशत अधिक तेज और 20 प्रतिशत अधिक एनर्जी एफिशियंट हैं।
– नई ट्रेनें अपग्रेडेड और ईको फ्रेंडली हैं। ये ट्रेनें यूटीओ मोड पर चलेंगी और दिल्ली मेट्रो के ऑपरेशनल कंट्रोल सेंटर (ओसीसी) से ऑपरेट की जाएंगी।
– ट्रेन के भीतर और बाहर कैमरे होंगे। आगे की ओर दो कैमरे होंगे, जिनसे ट्रैक पर नजर रखी जाएगी और सुसाइड जैसी स्थिति में ट्रेन रोकी जा सकेगी। इन्हें सीधे ओसीसी में देखा जा सकेगा।
– 230 वोल्टेज के चार्जिंग सॉकेट समेत अब यूएसबी स्लॉट भी उपलब्ध होंगे, ताकि मोबाइल चार्ज किया जा सके।
– इस नई ट्रेन के कोच एलईडी लाइट और एयर कंडीशनर सिस्टम से लैस होंगे। ट्रेन में ब्रेक लगने पर भी ऊर्जा उत्पादन होगा। इससे एयर कंडीशनर को चलाने में मदद मिलेगी। हर डोअर पैनल पर डायनेमिक रूट मैप लगा होगा, इससे यात्री स्थान जान सकेंगे।
– हर कोच में 18.5 इंच की एलसीडी स्क्रीन लगी होगी, जिस पर ऑडियो-विजुअल संदेश और विज्ञापन चलेंगे। अलग-अलग कलर के लिए इनमें फाइबर की सीटें लगाई गई हैं।
– ट्रेन में नीचे की ओर ऑब्सेक्टशन डिलेक्शन डिवाइस लगा होगा, जो ट्रेक पर आई छोटी-मोटी अड़चनें दूर करेगा। इससे ट्रेन पटरी से नहीं उतरेगी।
– अब हर कोच में 380 यात्री बैठ सकेंगे। इस तरह छह कोच की ट्रेन में 2280 यात्री एक साथ सफर कर सकेंगे। सामान्य मेट्रो से 240 ज्यादा।
– मेट्रो के हर कोच में अलग-अलग कलर की सीट्स होंगी। कोच में शुरू और आखिर में महिलाओं की सीट होगी। इनका रंग पिंक होगा। रिजर्व सीट अधिक गहरे रंग की होगी। नॉर्मल कोच में ब्लू, रेड और ऑरेंज कलर की सीट होंगी।
– ड्राइवरलैस मेट्रो कोरिया मूल की रोटेम नामक कम्पनी ने तैयार की है।
– गुजरात के मधुरा सी-पोर्ट से देश में लाने के बाद इन ट्रेनों को दिल्ली के मुकुंदपुर मेट्रो डिपो में असेम्बल किया गया था। फिलहाल दिल्ली मेट्रो ने साउथ कोरिया से 20 ड्राइवरलैस मेट्रो ट्रेन मंगाई हैं।

डीएमआरसी की यह है प्लानिंग
-दिल्ली में ड्राइवरलैस मेट्रो शुरु हो चुकी है, लेकिन फिलहाल चालक बैठा रहता है, पर चलाता नहीं है। हालांकि डीएमआरसी के मुताबिक मेट्रो के तीसरे फेज पर ड्राइवरलैस मेट्रो ट्रेन चलाई जाएगी। इसमें चालक भी मौजूद नहीं रहेगा। तीसरा फेज मजलिस पार्क-शिव विहार और जनकपुरी वेस्ट-बॉटनिकल गार्डन से कालकाजी तक है। तीसरे फेज में चलने वाली सभी मेट्रो 6 कोचेज की होंगी।
– मुकुंदपुर डिपो और मजलिस पार्क मेट्रो स्टेशन में हुए सफल परीक्षण के बाद जुलाई से बॉटनिकल गार्डन से कालकाजी मेट्रो स्टेशन तक इन ड्राइवरलैस मेट्रो ट्रेनों का ट्रायल रन किया जाएगा। तीसरे फेज में जुलाई 2016 में यात्री इस ड्राइवरलैस मेट्रो में सफर कर सकेंगे।
– मेट्रो के तीसरे फेज में ड्राइवर का काम खत्म हो जाएगा, क्योंकि फेज तीन में ऑटोमेटिक ट्रेन कंट्रोल सिस्टम यानी एटीपी नहीं, बल्कि कम्यूनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल सिस्टम यानी सीबीटीसी लगाया गया है। यही वो तकनीक है जिससे बिना ड्राइवर के ट्रेन चलाई जाएगी।
– ट्रायल कामयाब होने के बावजूद ट्रेन को चलाए जाने के अगले एक साल तक ट्रेनों में कैब ऑपरेटर मौजूद रहेंगे।
– ये ऑपरेटर ट्रेनों को कम्युनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल तकनीक के आधार पर चलाएंगे। इस दौरान सब कुछ ठीक रहने पर इन्हें ट्रेनों से हटा दिया जाएगा।

दुनिया में कई जगह दौड़ रही हैं ड्राइवरलैस मेट्रो
डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में सफलतापूर्वक बिना ड्राइवर के मेट्रो ट्रेन को चलाया जा रहा है। इस ट्रेन को भी एडवांस सिग्नलिंग सिस्टम कम्यूनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल (सीबीटीसी) प्रणाली के तहत चलाया जा रहा है। लंदन के बड़े शहरों में भी बिना ड्राइवर के मेट्रो दौड़ रही हैं, जो 45 स्टेशनों पर रुककर यात्रियों को सुविधा देती है। पेरिस मेट्रो लाइन से जाने वाली मेट्रो सैंत लजारे और ओलम्पियाड को पेरिस के केन्द्र से जोडऩे वाली पेरिस मेट्रो शुरू से ही बिना ड्राइवर के चलती है। यह मेट्रो ट्रेन पेरिस के 13 स्टेशनों से होकर गुजरती है। इसके अलावा रोम, मिलान, वैंकुअर स्काई ट्रेन, लिमा, दुबई और अंकारा में बिना ड्राइवर की मेट्रो ट्रेन दौड़ रही हैं।

गिनीज बुक में दुबई मेट्रो
बिना ड्राइवर के दौडऩे वाली दुबई मेट्रो ने गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा लिया है। मेट्रो ने बिना ड्राइवर वाले मेट्रो नेटवर्क का विस्तार ७४.६९५ किमी. तक कर लिया है, जो विश्व रिकॉर्ड है। इससे पहले भी यह रिकॉर्ड दुबई मेट्रो के नाम था। उसने सितम्बर 2011 में बिना ड्राइवर वाली लाइन को बढ़ाकर 52 किलोमीटर कर लिया था। पूरी ट्रेन और स्टेशन एयरकंडीशंड है। दुबई में एक साल में लगभग 10 मिलियन यात्री सफर करते हैं। दुबई मेट्रो में रेड लाइन और ग्रीन लाइन शामिल हैं।

इस साल से ऑटो मोड पर दौड़ेगी जयपुर मेट्रो
जयपुर में चल रही मेट्रो के कोच इस तरह से डिजाइन किए हुए नहीं हैं कि उन्हें बिना ड्राइवर के चलाया जाए। हालांकि, हम जयपुर मेट्रो का ऑटो मोड पर सफल ट्रायल कर चुके हैं। इसमें मेट्रो स्वयं ही स्टेशन पर रुकती है और स्वयं ही गति पकड़ती है। इसमें ड्राइवर रहता है, वह सिर्फ दरवाजे खोलने और बंद करने का कार्य करता है। ऐसी संभावना है कि रेल सुरक्षा आयुक्त से मंजूरी मिलने के बाद इस साल के अंत तक जयपुर मेट्रो पूरी तरह से ऑटो मोड पर चलने लग जाएगी। यदि जयपुर मेट्रो फेज-2 के कोच दिल्ली मेट्रो कोच की तरह डिजाइन कराए गए तो जयपुरवासी भी बिना ड्राइवर की मेट्रो में सफर कर सकेंगे।
– सी.एस.जीनगर, डायरेक्टर, ऑपरेशन एण्ड सिस्टम, जयपुर मेट्रो

फैक्ट ऑफ मेट्रो ट्रेन
– दुनिया की सबसे लम्बी मेट्रो रेल सेवा शंघाई (चीन) में है।
– दुनिया की पहली मेट्रो रेल लंदन में चली। इसकी शुरुआत 10 मई 1963 को हुई।
– दुनिया की सबसे ज्यादा मेट्रो लाइन अमरीका में हैं। यहां कुल 32 शहरों में 24 मेट्रो लाइन हैं।
– न्यूयॉर्क सिटी मेट्रो लाइन में सबसे ज्यादा 422 स्टेशन हैं।
– भारत में सबसे पहले मेट्रो रेल दमदम से टॉली गंज (कोलकाता) चली। इसकी कुल लम्बाई 16.48 किलोमीटर थी।
– दिल्ली मेट्रो की शुरुआत 24 दिसम्बर 2002 को शाहदरा (तीस हजारी लाइन) से हुई।
– जयपुर में मेट्रो की शुरुआत 3 जून २०१५ को मानसरोवर से चांदपोल तक हुई।
– लन्दन में लोग मेट्रो को ट्यूब कहते हैं।
– पेरिस मेंं मेट्रो रेल को मेट्रो पोलियन कहा जाता है।
– अमरीका में चलने वाली मेट्रो रेल को सब-वे कहा जाता है।

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