दिल्ली। सड़क यातायात एवं राजमार्ग मंत्रालय ने आकलन किया है कि देश में अगले पांच सालों के दौरान राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास के लिए लगभग 6.92 लाख करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। यह आवश्यकता मंत्रालय के कुल बजटीय समर्थन, केन्द्रीय सड़क निधि, चुंगी, टीओटी प्रणाली द्वारा राष्ट्रीय राजमार्गों से होने वाली आय, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से लिये गये कर्ज और निजी क्षेत्र के निवेश के जरिए पूरी की जाएगी। यह सूचना कल राज्यसभा में सड़क यातायात एवं राजमार्ग तथा नौवहन राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने एक लिखित उत्तर में दी। उन्होंने बताया कि सड़क यातायात एवं राजमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर 208 रेलवे क्रॉसिंगों को चिन्हित किया है, जहां सेतु भारतम योजना के तहत आरओबी का निर्माण किया जाएगा। अब तक 87 आरओबी परियोजनाओं का अध्ययन किया जा चुका है।
मंडाविया ने यह भी सूचना दी कि सरकार ने देश में मौजूद 1.15 लाख किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क को बढ़ाकर दो लाख किलोमीटर तक कर दिया है। इन राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास के लिए आवश्यक खर्चों को ऊपर दिये गये विभिन्न स्रोतों के जरिए पूरा किया जाएगा। एक अलग लिखित उत्तर में मनसुख मंडाविया ने सदन को सूचित किया कि सरकार राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में प्लास्टिक कचरे के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है। यह काम खासतौर से उन शहरी क्षेत्रों में किया जा रहा है, जिनकी आबादी पांच लाख या उससे अधिक है। इसे 50 किलोमीटर के दायरे में लागू किया जाएगा। बहरहाल, इस समय किसी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है।