हालांकि उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय तीन अधिकारियों को नोटिस दिए जाने के बाद यथाशीघ्र रूबाबुद्दीन की पुनरीक्षण याचिकाओं पर सुनवाई तेज करेगा। उच्चतम न्यायालय के मुकदमे को गुजरात के बाहर स्थानांतरित करने का आदेश देने के बाद मुंबई में विशेष अदालत फर्जी मुठभेड़ मामले में सुनवाई कर रही है। विशेष अदालत ने तीनों अधिकारियों को इस आधार पर आरोप मुक्त कर दिया था कि सीबीआई ने उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिये पूर्व अनुमति नहीं ली, इसलिये उनके खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। मामले में 38 आरोपियों में से 15 को विशेष अदालत ने आरोप मुक्त कर दिया है। जिन 15 लोगों को आरोप मुक्त किया गया है, उनमें से 14 आईपीएस अधिकारी हैं। सीबीआई ने इन 14 अधिकारियों में से सिर्फ एक अधिकारी एन के अमीन को आरोप मुक्त किये जाने को चुनौती दी है। अमीन सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और इशरत जहां कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में मुख्य आरोपियों में से एक हैं।
– तीनों अफसरों को आरोप मुक्त करने के आदेश को दी है चुनौती
मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने आईपीएस अधिकारियों डी जी वंजारा, सेवानिवृत्त राजकुमार पांडियन और दिनेश एम एन को उस याचिका पर नये सिरे से नोटिस जारी कर जवाब मांगा ,जिसमें उन्हें सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोप मुक्त करने को चुनौती दी गई है। न्यायमूर्ति ए एम बदर सोहराबुद्दीन के भाई रुबाबुद्दीन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो को निर्देश दिया कि वे तीन अधिकारियों के आवासीय और आधिकारिक पते रूबाबुद्दीन को प्रदान करें ताकि उन्हें तत्काल नोटिस दिया जा सके। रूबाबुद्दीन द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका में अगस्त 2016 और अगस्त 2017 के बीच मामले में तीन अधिकारियों को आरोप मुक्त करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई है। जहां रूबाबुद्दीन ने मामले में शेष आरोपियों के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई पर उच्च न्यायालय के उनकी पुनरीक्षण याचिका पर फैसला करने तक रोक लगाने की भी मांग की थी, वहीं न्यायमूर्ति बदर ने इसपर रोक लगाने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि यह शेष आरोपियों के लिये नुकसानदेह होगा।