– किसानों के खेतों पर सोलर प्लांट लगाने के लिए सौर उपकरणों की खरीद अधिक दरों पर करके 21 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता और चहेती फर्मों को उपकृत करने के मामले की जांच रिपोर्ट अजमेर डिस्कॉम ने भी दी। रिपोर्ट के आधार पर आधा दर्जन से अधिक दोषी फर्मों व कंपनियों पर 75 रुपये प्रति किलो के हिसाब से जुर्माना लगाते हुए रिकवरी नोटिस जारी किए गए हैं। दोषी फर्मों से करीब दस करोड़ रुपये की रिकवरी निकलने का अनुमान है, हालांकि जुर्माना लगाकर फर्मों व निरीक्षण करने वाले अभियंताओं को बचा लिया गया है।
– राकेश कुमार शर्मा
जयपुर। किसानों के खेतों में सोलर प्लांट लगाकर उन्हें चौबीस घंटे बिजली देने की भारत सरकार की योजना कुसुम में 21 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता और गड़बड़ी के मामले में आधा दर्जन से अधिक फर्में व कंपनियां दोषी ठहराई गई है। उक्त सभी को अजमेर डिस्कॉम ने भारी जुर्माना लगाते हुए दो दिन पहले रिकवरी के नोटिस जारी किए गए हैं। नोटिसों से कंपनियों व फर्मों में खलबली मची हुई है। इस मामले में अजमेर डिस्कॉम की जांच कमेटी ने हाल ही रिपोर्ट दी है। जांच रिपोर्ट के आधार पर
जांच रिपोर्ट में माना है कि चहेती फर्मों को फायदा देने के लिए अधिक दरों पर तो सौर उपकरण की खरीद की गई है, वहीं आपूर्तिकर्ता फर्मों व कंपनियों ने भी तय क्वालिटी के विपरीत उपकरण लगाए हैं। इससे उपकरण खराब हो गए और किसानों को सौर ऊर्जा का लाभ नहीं मिल पाया। क्वालिटी के उपकरण नहीं देने पर जांच कमेटी सदस्यों ने फर्मों व कंपनियों पर भारी जुर्माना की सिफारिश की है। जुर्माने के आधार पर दोषी फर्मों व कंपनियों पर करीब दस करोड़ रुपये की रिकवरी निकलने का अनुमान है। हालांकि जांच कमेटी ने सिर्फ जुर्माना व रिकवरी की सिफारिश की है। दोषी फर्मों व कंपनियों को ब्लैकलिस्ट करने और उन पर आपराधिक मुकदमा दर्ज करवाए जाने को लेकर कोई टिप्पणी या अनुशंषा नहीं की है। इससे लगता है कि फर्मों व कंपनियों को दोषी मानते हुए भी सिर्फ जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया। एक तरह से जुर्माना लगा व रिकवरी निकालकर फर्मों को बचा लिया गया है। जबकि जांच कमेटी को दोषी फर्मों सख्त कार्यवाही करते हुए ब्लैकलिस्ट की कार्यवाही करनी चाहिए थी। जो उपकरण कम क्वालिटी के दिए हैं, उन्हें वापस देकर किसानों के यहां नए उपकरण लगवाने चाहिए थे। उधर, तय शर्तों के विपरीत कम क्वालिटी के सौर उपकरण भेजने वाली कंपनियों, फर्मों का निरीक्षण करके उनके पक्ष में अच्छी रिपोर्ट देने वाले अभियंताओं के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है। गौरतलब है कि सोलर उपकरण खरीद मामले में वित्तीय गड़बड़ी और अनियमितताओं को लेकर दो जांच कमेटियां बनाई गई थी। एक कमेटी अजमेर डिस्कॉम ने बनाई थी तो दूसरी राज्य सरकार की तरफ से अतिरिक्त मुख्य सचिव (ऊर्जा) डॉ.सुबोध अग्रवाल ने भी बनाई थी। सरकार की जांच कमेटी राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम के सचिव महेन्द्र प्रताप सिंह और जयपुर विद्युत वितरण निगम के टेक्निकल डायरेक्टर के.पी.वर्मा के नेतृत्व में बनाई गई, जिसने हाल ही अपनी रिपोर्ट सरकार को दी है। रिपोर्ट में तय शर्तों के विपरीत करोड़ों रुपये की अधिक दरों पर सौर उपकरण खरीद की निविदा निकालने, चहेती फर्मों को फायदा पहुंचाने और कमतर सौर उपकरण की आपूर्ति के लिए अजमेर डिस्कॉम के आला अधिकारियों की कार्यशैली को जिम्मेदार ठहराते हुए फर्मों और अभियंताओं पर कार्यवाही की अनुशंषा की है। फिलहाल इस रिपोर्ट पर सरकार ने अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया है, जो चर्चा का विषय बना हुआ है। अजमेर डिस्कॉम की जांच कमेटी में ए.के.जागेटिया डायरेक्टर टेक्निकल अजमेर डिस्कॉम, एडिशनल चीफ इंजीनियर अजमेर चीफ अकाउंटस ऑफिसर अजमेर, एसई उदयपुर थे। दोनों ही कमेटियों की जांच रिपोर्ट के निष्कर्षों से स्पष्ट है कि अजमेर डिस्कॉम एमडी विजय सिंह भाटी व अन्य आला अधिकारियों की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाए गए हैं।
– 75 रुपये प्रति किलो के हिसाब से जुर्माना
चार सदस्यीय जांच कमेटी की रिपोर्ट मिलने के एक महीने बाद अजमेर डिस्कॉम प्रबंधन ने दोषी फर्मों व कंपनियों पर कार्यवाही शुरु की है। जांच रिपोर्ट के आधार पर दो दिन पहले ही दोषी फर्मों व कंपनियों को नोटिस जारी किए हैं। नोटिसों में जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए 75 रुपये प्रति किलो और इस पर देय जीएसटी के हिसाब से जुर्माना लगाया है। कंपनियों को हर एक सोलर उपकरण अस्सी किलो का लगाना था, लेकिन जांच में यह पांच किलो कम पाया। ऐसे हजारों सोलर प्लांट उपकरणों के वजन में कमी पाई गई। कमेटी ने सोलर उपकरणों के निरीक्षण में यह भी माना है कि उपकरणों के साथ एसपीवी कंट्रोलर और सोलर मीटर भी नहीं लगाए गए हैं। ऐसे में अब फर्मों व कंपनियों से एसपीवी कंट्रोलर व सोलर मीटर के साथ ही स्वीकार करें। इसके बिना उपकरण नहीं लगाए जाए। जिन स्थानों पर सोलर उपकरण नहीं लगे हैं, वहां पर तय मानकों के हिसाब से सोलर उपकरण, सोलर मीटर, एसपीवी कंट्रोलर भी लगाए जाए। वहीं कमेटी ने यह भी कहा है कि सोलर कनेक्शन पर मौजूद मौजूदा मीटर को उचित एमसीओ के माध्यम से नेट मीटर से बदल दिया जाए। जिससे किसान सोलर मीटर लगाने के साथ-साथ बिलिंग में अस्पष्टता से बच सके। फर्मों को स्पष्ट कहा है कि तय मानको के हिसाब से ही शेष सोलर पीवी और उपकरणों की आपूर्ति की जाए, नहीं तो कड़ा एक्शन लिया जाएगा। फर्मों को भुगतान जुर्माना राशि की वसूली करके किया जाए।
– यह गड़बड़ी मिली जांच कमेटी को
– सोलर उपकरण खरीद की निविदा अधिक दरों पर की गई। खरीद नियमों की पालना नहीं हुई है।
– सोलर उपकरण की आपूर्तिकर्ता फर्मों व कंपनियों ने तय मानको के हिसाब से उपकरण आपूर्ति नहीं किए। वजन में कम मिले। क्वालिटी ठीक नहीं पाई गई।
– सौर उपकरण को एसपीवी कंट्रोलर और सोलर मीटर से नहीं जोड़ा गया। इससे बिजली बिलिंग गणना पर प्रभावित होने व अस्पष्ट होने की संभावना। – कई कंपनियों के पास ठेकेदारी कार्य का ए क्लास प्रमाण पत्र नहीं मिला है।
– सौर उपकरणों को ठीक करने और किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए कंपनियों के कॉल सेंटर पर्याप्त नहीं मिले।
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इनका कहना है……
हमें जांच रिपोर्ट देनी थी। हम जांच रिपोर्ट एमडी अजमेर डिस्कॉम विजय सिंह भाटी को दे चुके हैं। रिपोर्ट में क्या है, यह हम नहीं बता सकते। बहुत ही कॉन्फिडेंशियल है। रिपोर्ट पर फैसला एमडी और सरकार को लेना है।
– ए.के.जागेटिया
जांच कमेटी सदस्य व डायरेक्टर टेक्निकल अजमेर डिस्कॉम
– एमडी साहब ही बता सकते हैं…
इस मामले में अजमेर डिस्कॉम के एमडी विजय सिंह भाटी के दोनों मोबाइल नंबर पर फोन किया, लेकिन फोन रिसीव नहीं किया। मैसेज का भी उत्तर नहीं दिया और ना ही फोन आया। हालांकि भाटी द्वारा मैसेज रिसीव हो गया था। उधर, इस मामले में एसीई (प्रोजेक्ट) अजमेर डिस्कॉम से बातचीत की गई तो उन्होंने कुछ भी बताने से इनकार करते हुए कहा कि वे इसके लिए अधिकृत नहीं है। एमडी साहब ही बता सकते हैं।
– गणेश इलेक्ट्रिकल प्राइवेट लिमिटेड अहमदाबाद
– नवदुर्गा इलेक्ट्रोकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड जयपुर (जेवी सनलाइट सोलर प्राइवेट लिमिटेड अहमदाबाद गुजरात)
– ट्रोम सोलर गांधी नगर गुजरात (जेवी कौशल इलेक्ट्रिकल गाधी नगर)
– यूएम ग्रीन लाइटिंग प्राइवेट लिमिटेड दिल्ली
– प्रीमियर सोलर सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड हैदराबाद
– नोवस ग्रीन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड सिकंदराबाद
– सीएसए कार्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड
– एसपी एंटरप्राइजेज रांची
– सोलेक्स एनर्जी प्राइवेट लिमिटे गुजरात
– एसेस सोलर लिमिटेड हैदराबाद
– राजस्थान इलेक्ट्रिकल एण्ड ई.लि.जयपुर।
– कौशल इंजीनियर प्रा.लि.अहमदाबाद गुजरात
गंभीर अपराध है, अफसरों व फर्मों पर दर्ज हो मुकदमा
दोनों जांच रिपोर्ट से साफ है कि अजमेर डिस्कॉम ने गंभीर अपराधिक कृत्य किया है। एक तरह से भारत सरकार और जनता के पैसों का भारी दुरुपयोग एवं धोखाधड़ी है। फर्मों को ब्लैकलिस्ट करना चाहिए। सरकार को जांच रिपोर्ट पर प्रसंज्ञान लेकर अफसरों व फर्मों पर सीबीआई व एसओजी में आपराधिक मुकदमा दर्ज करवाना चाहिए।
अजय कुमार जैन
सीनियर एडवोकेट राजस्थान हाईकोर्ट