जयपुर। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने बाबा साहेब पुरंदरे जी को जीवन के सौवें वर्ष में प्रवेश करने के लिए हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं। बाबा साहेब पुरंदरे के जीवन के सौवें वर्ष में प्रवेश करने के अवसर पर आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री ने कहा कि बाबा साहेब पुरंदरे का जीवन सौ वर्ष तक जीने और विचारशील रहने की हमारे मनीषियों द्वारा प्रतिपादित श्रेष्ठ भावना को साक्षात् चरितार्थ करता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये सुखद संयोग ही है कि जब बाबा साहेब जीवन के सौंवे वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, उसी समय हमारा देश भी आज़ादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। प्रधानमंत्री ने हमारे इतिहास की अमर आत्माओं के इतिहास लेखन में बाबा साहेब पुरंदरे द्वारा दिए गए योगदान पर भी प्रकाश डाला।

प्रधानमंत्री ने कहा, “शिवाजी महाराज के जीवन और इतिहास को जन-जन तक पहुंचाने में उन्‍होंने जो उत्‍कृष्‍ट योगदान दिया है, उसके लिए हम सभी हमेशा उनके ऋणी रहेंगे।” पुरंदरे को वर्ष 2019 में ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया गया था, तो वहीं 2015 में तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें ‘महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार’ से सम्‍मानित किया था। मध्यप्रदेश सरकार ने भी कालिदास पुरस्कार देकर उनको नमन किया था।

प्रधानमंत्री ने शिवाजी महाराज के गौरवशाली व्‍यक्तित्‍व के बारे में भी विस्‍तार से चर्चा की। उन्‍होंने कहा कि शिवाजी महाराज, भारत के इतिहास के शिखर-पुरुष तो हैं ही, साथ ही उन्‍होंने भारत के वर्तमान भूगोल को भी प्रभावित किया है। हमारे अतीत, वर्तमान और भविष्य का बहुत बड़ा प्रश्न यह है कि अगर शिवाजी महाराज न होते, तो क्या होता? छत्रपति शिवाजी महाराज के बिना भारत के स्वरूप, उसके गौरव की कल्पना करना भी मुश्किल है। अपने कालखंड में जो भूमिका छत्रपति शिवाजी ने निभाई, उनके बाद वही भूमिका उनकी किंवदंतियों, प्रेरणा और गाथाओं ने निभाई है। उनका ‘हिंदवी स्वराज’ पिछड़ों और वंचितों के प्रति न्याय और अत्याचार के खिलाफ हुंकार का अप्रतिम उदाहरण है। मोदी ने कहा कि वीर शिवाजी का प्रबंधन, देश की नौसेना का इस्‍तेमाल, उनका जल प्रबंधन आज भी अनुकरणीय हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बाबा साहेब पुरंदरे के कार्यों में शिवाजी महाराज के लिए उनकी अटूट श्रद्धा झलकती है, उनके कार्यों से शिवाजी महाराज हमारे मन-मंदिर में साक्षात जीवंत हो जाते हैं। प्रधानमंत्री ने बाबा साहेब के कार्यक्रमों में अपनी उपस्थिति को याद किया और इतिहास को युवाओं तक उसके पूर्ण गौरव और प्रेरणा के साथ पहुंचाने के उनके उत्‍साह की सराहना की। उन्‍होंने सदैव इस बात का ध्‍यान रखा कि इतिहास को उसके सच्चे स्वरूप में ही संप्रेषित किया जाए। प्रधानमंत्री ने कहा, “इसी संतुलन की देश के इतिहास को बहुत आवश्यकता है। उनकी श्रद्धा और उनके भीतर के साहित्यकार ने कभी भी उनके इतिहासबोध को प्रभावित नहीं किया। मैं देश के युवा इतिहासकारों से आज़ादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में आजादी का इतिहास लिखते समय बाबा साहेब पुरंदरे जैसे मानक बरकरार रखने की अपील करूंगा।”

प्रधानमंत्री ने गोवा मुक्ति संग्राम से लेकर दादरा-नागर हवेली के स्वाधीनता संग्राम तक बाबा साहेब पुरंदरे के योगदान को भी याद किया।

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