जयपुर। बलिदान की धरती राजस्थान साधु-संतों के तप, साधना की भूमि रही है। एक ऐसी ही साधना जैन मुनि अंतर्मना प्रसन्न सागर महाराज की रही। अंतर्मना जैन मुनि प्रसन्न सागर महाराज ने भगवान महावीर स्वामी के बाद सबसे लम्बा निर्जल उपवास और मौन साधना पूरी नीति-रीति से पूर्ण की। गुरुवार को जयपुर का बाड़ा पदमपुरा में इस अनूठे और गौरवपूर्ण उपलब्धि पर भव्य जैन मुनियों का आगमन हुआ। अंतर्मना जैन मुनि प्रसन्न सागर महाराज के व्रत और निर्जल उपवास की इस पूर्णता पर भव्य महापारणा महोत्सव हुआ, जिसमें मुनि तरुण सागर महाराज, मुनि पीयूष सागर महाराज व अन्य जैन संतों व साध्वियों के सान्निध्य में अंतर्मना जैन मुनि प्रसन्न सागर महाराज के व्रत की पूर्णता पर पारणा (लौंग मिश्री का सेवन करवाकर व्रत-मौन साधना तुडवाई) करवाई। अंतर्मना मुनि प्रसन्न सागर महाराज ने 186 दिन में से 153 दिन तक मौन साधना-निर्जल उपवास और 33 दिन की पारणा की है।
जैन ग्रंथों के मुताबिक भगवान महावीर स्वामी में सबसे अधिक 186 दिन तक निर्जल उपवास और मौन साधना की। इस व्रत के दौरान कुछ भी ग्रहण नहीं किया। अंतर्मना मुनि प्रसन्न सागर महाराज ने इसके बाद यह व्रत रखा है। हालांकि कई ओर भी जैन मुनि व संत ऐसा व्रत रख चुके हैं, लेकिन अंतर्मना मुनि प्रसन्न सागर महाराज जितना व्रत अभी तक किसी ने नहीं किया। इस व्रत की पूर्णता पर आयोजित महापारणा समारोह में जैन मुनियों के सान्निध्य में धर्म सभा हुई, जिसमें जैन मुनि तरुण सागर महाराज, मुनि पीयूष सागर महाराज, गणिनी आर्यिका गौरवतमी माताजी आदि ने धर्म संबंधी विचार रखे।