जयपुर। 13 मई,2008 को जयपुर में आठ स्थानों पर हुए बम धमाकों के दर्द की आज बरसी है। बम धमाकों में 72 लोगों की मौत हुई और सैकड़ों लोग घायल हुए थे। नौ साल में एक भी मुकदमे में फैसला नहीं हुआ. जयपुर बम धमाकों में पुलिस ने अलग-अलग आठ एफआईआर दर्ज कर आठ चालान पेश किए थ्ो। चालान में करीब 1००० गवाहों की सूची पेश की गई। इनमें से 3० प्रतिशत गवाह तो पुलिस महकमे, जिला प्रशासन एवं विशेषज्ञ हैं, जो सभी केसों में एक समान हैं। पीडितों को जल्द न्याय के लिए राज्य सरकार की सिफारिश पर राजस्थान हाई कोर्ट प्रशासन ने बम धमाकों की स्पेशल कोर्ट का गठन किया और शुरु में स्पेशल कोर्ट को केवल उपरोक्त आठ मुकदमे ही दिए गए। इन सभी आठों मुकदमों में आरोपियों पर चार्ज तो तय हो चुके हैं और आज तक ट्रायल चल रही है। बम धमाकों के इन केसों में पीड़ितों को अभी तक न्याय नहीं मिल पाया है क्योंकि अब तक एक भी मुकदमे फैसला नहीं हुआ है। गुलाबी नगरी को खून से लाल करने वाले इन अपराधों के आरोप में पुलिस केवल पांच आरोपियों शाहबाज हुसैन, मोहम्मद सैफ, सरवर आजमी, सैफुर्रहमान एवं सलमान को ही अब गिरफ्तार कर सकी है। इसके अलावा फरार चार आरोपियों शादाब, आरिज, मोहम्मद खालिद एवं साजिद को पुलिस आज तक गिरफ्तार ही नहीं कर पाई है। मामले में दो आरोपियों की दिल्ली में हुए बाटला हाउस एनकाउन्टर में मौत हो चुकी है।