जयपुर। देश-दुनिया में साहित्य का सबसे बड़ा उत्सव जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) शुरु होने से पहले ही विवाद के घेरे में आ गया है। इस फेस्टिवल में सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी आ रहे हैं, जिन्होंने विवादित फिल्म पदमावती का नाम बदलकर रिलीज करने की मंजूरी दी है। इसके बाद से सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी के प्रति भी राजपूत संगठन और राजपूत नेता नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। २४ से २६ जनवरी तक होने वाले जेएलएफ में प्रसून जोशी आ रहे हैं। राजस्थान में ही इस फिल्म का सर्वाधिक विरोध प्रदर्शन चल रहा है। ऐसे में राजपूत संगठनों ने प्रसून जोशी का विरोध करने का फैसला किया है।
श्री राजपूत करणी सेना के प्रदेशाध्यक्ष अजीत सिंह मामडोली ने गुरुवार को एक बयान में कहा है कि जेएलएफ में आ रहे सेंसर बोर्ड चेयरमैन प्रसून जोशी का विरोध किया जाएगा। राजपूत समाज के स्वाभिमानी की प्रतीक रानी पदमावती के इतिहास के साथ खिलवाड़ करने वाले प्रसून जोशी को जेएलएफ में घुसने नहीं दिया जाएगा और ना ही इसका संबोधन होने देंगे। इसके लिए करणी सेना के कार्यकर्ता कुछ भी कर जाएंगे। उधर, दूसरे संगठन के पदाधिकारी भी प्रसून जोशी के विरोध में उतर आए हैं। राजपूत-रावणा समाज संघर्ष समिति के प्रवक्ता दुर्ग सिंह खींवसर ने कहा है कि प्रसून जोशी ने विरोध के बावजूद पदमावती फिल्म को रिलीज करने की अनुमति देकर राजपूत समाज के साथ धोखा किया है। हम जोशी का विरोध करेंगे। राजपूत संगठनों के विरोध के चलते जेएलएफ विवादों के घेरे में आ सकता है और कार्यक्रम आयोजकों की परेशानी बढ़ सकती है।