गिडला ने कहा, ‘‘कैसे कोई कह सकता है कि गांधी जाति विरोधी व्यक्ति थे ? वाकई वह जाति व्यवस्था की रक्षा करना चाहते थे और यही कारण है कि अछूतों के उत्थान के लिए वह केवल बातें करने तक सीमित रहे क्योंकि ब्रिटिश सरकार में राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए हिंदुओं को मुसलमानों के खिलाफ बहुमत की जरूरत थी ।’’ गिडला ने कहा, ‘‘इसी वजह से हिंदू नेताओं ने सदा जाति मुद्दे को उठाया ।’’ अपने तर्कों को जायज ठहराने के लिए उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में राजनीतिक नेताओं के घटनाक्रम की याद दिलायी जहां उन्होंने कहा था कि अश्वेत लोग ‘‘काफिर’’ और ‘‘असफल’’ हैं।
गिडला ने कहा, ‘‘अफ्रीका में जब लोग पासपोर्ट शुरू करने के लिए ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ रहे थे तो उन्होंने कहा कि भारतीय लोग मेहनती होते हैं और उनके लिए इन चीजों को साथ लेकर चलना जरूरी नहीं होना चाहिए। लेकिन अश्वेत लोग काफिर और असफल होते हैं और वे आलसी हैं । हां, वे अपना पासपोर्ट रख सकते हैं लेकिन हमें ऐसा क्यों करना चाहिए ? ’’ उन्होंने कहा, ‘‘गांधी वास्तविकता में बहुत जातिवादी और नस्लीय थे और कोई भी अछूत यह जान जाएगा कि गांधी की असल मंशा वहां क्या थी ।’’
‘‘एंट अमांग एलीफेन्ट : एन अनटचेबल फैमिली एंड द मेकिंग ऑफ मॉडर्न इंडिया’’ की लेखिका ‘‘नैरेटिव्स ऑफ पावर, सांग ऑफ रेसिस्टेंस’’ सत्र में बोल रही थीं । गिडला ने मायावती और जिग्नेश मेवाणी जैसे भारतीय दलित नेताओं पर भी कटाक्ष किया । अमेरिकी सबवे में कंडक्टर का काम करने वाली लेखिका ने कहा कि बसपा जैसी पार्टी दलित समुदाय के लिए तय सीमा में ही काम कर सकती है जिसके तहत उन्हें चुना गया है। उन्होंने कहा, ‘‘हर कोई कहता है कि बसपा ने अछूतों को अधिकार दिया है। इसने उनमें आत्मविश्वास और आत्मसम्मान दिया है । लेकिन इससे कुछ नहीं हुआ । मायावती बहुत धनी हो गयीं , उनके भाई खुद बहुत अमीर हो गए। अंत में दलितों के साथ यही सब हुआ। ’’ गिडला भारत से न्यूयार्क सिटी चली गयी थीं।
उन्होंने मेवाणी की ‘‘नेकनीयती’’ की सराहना की लेकिन युवा दलित नेता पर ‘खोखली बयानबाजी’ का आरोप भी लगाया । उन्होंने कहा, ‘‘जिग्नेश मेवाणी अभी अतिवादी लगते हैं और उना की घटना के खिलाफ उनका प्रदर्शन सराहनीय है लेकिन उन्होंने चुनावी राजनीति के ढांचे के तहत काम करने का फैसला किया है और इसके तहत वह इतना ही कर सकते हैं । ’’ गिडला ने विपक्ष पर भी आरोप लगाए । कांग्रेस की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी सत्तारूढ़ शासन से अलग नहीं है और असल में ‘‘संप्रदायवाद की अगुवा’’ है ।
उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा से पहले शासन करने वाली कांग्रेस और कोई भी पार्टी मोदी से अलग नहीं है । अमेरिका की तरह , असल में डेमोक्रेट्स ट्रंप से अलग नहीं हैं । कांग्रेस अपने संप्रदायवाद के बारे में संकोची है। लेकिन कांग्रेस संप्रदायवाद की अगुवा है। ’’ उन्होंने 1984 में स्वर्ण मंदिर में कार्रवाई और दिल्ली में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद के दंगे का उदाहरण दिया जिसमें 3000 से ज्यादा सिख मारे गए थे । उन्होंने कहा, ‘‘यह सांप्रदायिक था । और कांग्रेस ने यह किया था । भाजपा ने नहीं ।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए उनमें और भाजपा में केवल इतना अंतर है कि भाजपा इस बारे में स्पष्ट है । मोदी अपने संप्रदायवाद को लेकर स्पष्ट हैं। ’’
जयपुर : भारतीय अमेरिकी लेखिका सुजाता गिडला ने कहा है कि महात्मा गांधी ‘‘जातिवादी और नस्लीय’’ थे जो जाति व्यवस्था को जिंदा रखना चाहते थे और राजनीतिक फायदे के लिए दलित उत्थान पर केवल जबानी जमा खर्च करते थे। न्यूयार्क में रहने वाली दलित लेखिका ने जयपुर साहित्य महोत्सव में कहा कि गांधी जाति व्यवस्था को केवल ‘‘संवारना’’ चाहते थे।