जयपुर। रामलीला मैदान में रविवार को सामाजिक समरसता स मेलन सर्व समाज के आशीर्वाद का अपूर्व संगम बन गया। समरसता स ोलन मेंं शहीद क्रांतिकारी, संत महंतों, व्यापारी -उद्यमियों, मातृशक्ति व सर्व समाजों का अपूर्व संगम देखने को मिला। स ोलन का आकर्षण ताडकेश्वर मंदिर से रामलीला मैदान तक पहुंची मातृशक्ति की विशाल कलशयात्रा और अल्बर्ट हॉल से रामलीला मैदान तक आई तिरंगा यात्रा रहे। इस अवसर पर मु य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार गोपाल शर्मा ने पुलवामा के शहीदों का पुण्य स्मरण करते हुए कहा कि राष्ट्रीयता के जज्बे के बिना राष्ट्र की रक्षा संभव नहीं है, और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नापाक पाक के मंसूबोंं पर पानी फेरते हुए पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया है।
इस अवसर पर मु य वक्ता गोपाल शर्मा ने कहा कि आरएसएस से वह बचपन से जुड़े हुए हैं, एवं जयपुर उनकी रग रग में रचा बसा है। उन्होंने कहा कि छोटी काशी से अनेक राजनीतिज्ञों ने देशसेवा की है, किन्तु अब तक जयपुर को वो मुकाम नहीं मिल सका है जो मिलना चाहिए था। आज भी ये प्रश्र हम सबके सामने है कि जयपुर की कच्ची बस्तियां सुविधाओं को क्यों तरस रही हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में सशक्त नेतृत्व वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ही गरीब बस्तियों तक गैस का चूल्हा पहुंचाने के बारे में क्यो सोचना पडता है। उन्होंने सवाल उठाते कहा कि जयपुर आज तक शिक्षा हब क्यों नहीं बन सका है। अब तक के कमजोर इच्छाशक्ति वाले राजनीतिज्ञों के कारण आईआईएम व आईआईटी जैसे मानक संस्थान जयपुर को क्यों नहीं मिल सके हैं। इसलिए अब समय आ गया है जब जयपुर को सक्षम नेतृत्व चाहिए।
इस अवसर पर देश की स्वाधीनता संग्राम में अपना अमिट योगदान देने वाले अफशाक उल्ला ाान के पौत्र अफशाक उल्ला खान ने कहा कि अफशााक उल्ला खान व रामप्रसाद बिस्मिल ने देश की स्वाधीन बनाने में अमिट योगदान दिया। उन्हें फ्रख है कि वह ऐसे मंच पर हैं जहां पुलवामा के शहीदों का स ाान हो रहा है। उन्होंने कहा कि गोपाल शर्मा की राष्ट्रीयता की भावना का आदर किया जाना चाहिए। काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने कहा कि पुलवामा के शहीदों की आत्मा को काशी विश्वनाथ के परमशिव शांति प्रदान करें और गोपाल शर्मा जैसा नेतृत्व जयपुर की जनता को मिले। रामलीला मैदान उस पल का गवाह बन गया जब रामलीला मैदान में स मेलन में यज्ञ किया गया एवं पुलवामा के शहीदों की आत्मा की शांति के लिए विशेष मंत्रों से आहुतियां दी गई और पंचकुंडीय राष्ट्ररक्षा शक्ति संवर्धन गायत्री महायज्ञ, विशाल कलशयात्रा, श्यामप्रभु का साक्षात दरबार का दरबार सजा।