जयपुर। जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, जयपुर में शुक्रवार को हार्नसिंग यूथ फाॅर डवलपमेंट, सस्टेनेबिलिटी एंड हैप्पीनेसः इम्पेरटिव्ज एंड चैलेंजेज फाॅर सार्क एंड इमर्जिंग एषियन कंट्रीज-2017 विषय पर इंटरनेषनल काॅन्फ्रेंस की शुरूआत हुई। यह जयपुरिया, जयपुर की इंटरनेशनल कांफ्रेंस ‘यूथ 2025‘ है। दो दिवसीय इस कांफ्रेंस में 50 डेलीगेट्स व 500 स्टूडेंट्स शामिल हुए हैं, जिनमें सार्क देषों (श्रीलंका, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, अमेरिका व यूएनएफपीए) के प्रतिनिधि भी शामिल हुए हैं। कांफ्रेंस में शामिल हुए डेलीगेट्स ने सार्क देषों को उनकी युवा शक्ति का उपयोग किए जाने की आवष्यकता जताई, जो पिछले कुछ वर्षों में इनकी मुख्य ताकत बन रही है। इस तथ्य पर भी फोकस रहा कि सस्टेनेबिलिटी व हैप्पीनेस के माध्यम से वृद्दि व विकास लाने में युवा शक्ति महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
काॅन्फ्रेंस में शामिल हुए डेलीगेट्स व प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए जयपुरिया ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूषंस के चेयरमेन शरद जयपुरिया ने इस संबंध में अपने विचार रखे कि जनसंख्या वृद्दि, आतंकवाद, इकोनाॅमिक व ह्यूमन वायलेंषन तथा डवलपमेंट, सस्टेनेबिलिटी व हैप्पीनेस के लिए कार्य करने से संस्कृति के नवीनीकरण जैसे विषयों से निपटने में सार्क देष किस प्रकार सहयोगी हो सकते हैं। उद्योग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने विकास के संदर्भ में खुषी के महत्व पर प्रकाष डालते हुए भारतीय धर्म के उदाहरण दिए। उन्होंने आगे विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि जब विकास मल्टी-डायमेंषियनल होता है तो अधिक खुषी प्राप्त होती है। इस विकास में एथिक्स, धन के साथ मूल्य, सस्टेनेबिलिटी और मानव विकास शामिल होता है। काॅन्फ्रेंस के विषय के बारे में जानकारी देते हुए जयपुरिया इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट, जयपुर के डायरेक्टर डाॅ. प्रभात पंकज ने सार्क देषों के संदर्भ में जनसांख्यिकीय लाभांश से संबंधित वैष्विक रिपोर्टों के तथ्यों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 तक सस्टेनेबिलिटी व हैप्पीनेस लाने में युवा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। ब्रह्माकुमारी वल्र्ड स्पिरिच्युअल यूनिवर्सिटी, लंदन की यूरोपीय निदेषक बी. के. सिस्टर जयंती ने की-नोट स्पीच दी। इसके तहत इन्होंने स्वभीतर से संबंधित खुषी की अवधारणा को बहुत ही स्पष्टता तरीके से साझा किया। उन्होंने कहा कि खुषी बाहरी कारणों में नहीं होती, बल्कि यह स्वयं के भीतर निवास करती है, लेकिन हम इसे समझ नहीं पाते हैं। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘हैप्पीनेस- फैक्ट्स एंड मिथ्स‘ से माइकल डब्ल्यू आइसेंक के अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि पैसा व सुदरता खुषी नहीं दे सकते, बल्कि इनसे जुड़ा डर सच्ची खुषी प्रदान करता है।
उन्होंने आगे बताया कि विकास का मानवीय चेहरा ही खुषी का सम्पूर्ण पहलू है। यदि दुनिया की नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदला जाएगा तो यह दुनिया के लिए काफी बेहतर होगा। सही मायने में सच्चा विकास मानवीय विकास होता है, न कि लोगों का विकास। चुकि हमारे पास जाने के लिए अन्य कोई ग्रह नहीं है, इसलिए हमें पृथ्वी को ही बेहतर व खुष बनाना चाहिए। काॅन्फ्रेंस में तीन टेक्निकल सैषन आयोजित किए गए, जिनमें कुल 30 रिसर्च पपेर प्रस्तुत किए गए। काॅन्फ्रेंस के प्रथम दिन आयोजित किए गए सैषन प्रतिभागियों के लिए बेहद लाभप्रद साबित हुए, जिनमें भारत व अन्य देषों से शामिल हुए प्रतिनिधियों ने सस्टेनेबल डवलपमेंट की दिषा में युवाओं का उपयोग किए जाने पर अपने विचार व्यक्त किए।

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