नई दिल्ली। केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री अरुण जेटली ने आज संसद के पटल पर आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 प्रस्तुत किया। इसके मुताबिक, मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना केंद्र सरकार की प्राथमिकता रही है। सरकार ने इसके लिए कई कदम उठाए हैं, जो निम्नलिखित हैं।
जमाखोरी और कालाबाजारी के खिलाफ कार्रवाई करने, आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 और कम आपूर्ति वाली वस्तुओं की कालाबाजारी निवारण एवं आवश्यक वस्तु अनुरूप अधिनियम, 1980 को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए जरूरत पड़ने पर समय-समय पर राज्य सरकारों को परामर्शिकाएं जारी की जा रही हैं। कीमत और उपलब्धता की स्थिति के आकलन के लिए नियमित तौर पर उच्च स्तरीय समीक्षा बैठकें की जा रही हैं। ये बैठकें सचिवों की समिति, अंतर मंत्रालय समिति, कीमत स्थिरीकरण निधि प्रबंधक समिति और अन्य विभागीय स्तर पर की जाती हैं।
उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए खाद्य पदार्थों के अधिकतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा की गई। इसका उद्देश्य खाद्य पदार्थों उपलब्धता बढ़ाना भी है, जिससे कीमतों को कम रखने में मदद मिलेगी।
दालों, प्याज आदि कृषि वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए कीमत स्थिरीकरण निधि (पीएसएफ) योजना लागू की जा रही है।
खुदरा कीमतों को बढ़ने से रोकने के प्रयासों के तहत सरकार ने दालों के सुरक्षित भंडार (बफर स्टॉक) को 1.5 लाख मी. टन से बढ़ाकर 20 लाख मी. टन करने का अनुमोदन किया। इस क्रम में 20 लाख टन तक दालों का सुरक्षित भंडार तैयार किया गया।राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से वितरित करने, मध्याह्न भोजन योजना आदि के लिए सुरक्षित भंडार से दालें दी जा रही हैं। इसके अलावा सेना और केन्द्रीय अर्द्ध सैन्य बलों की दाल की जरूरत को पूरा करने के लिए भी सुरक्षित भंडार से दालों का उपयोग किया जा रहा है।सरकार ने अप्रैल, 2018 तक चीनी के स्टॉकिस्टों/डीलरों पर स्टॉक होल्डिंग की सीमा तय कर दी है।
सरकार ने उपलब्धता को बढ़ावा देने और कीमतों को कम बनाए रखने के लिए चीनी के निर्यात पर 20 प्रतिशत शुल्क लगाया।शून्य सीमा शुल्क पर 5 लाख टन कच्ची चीनी के आयात को अनुमति दी गई। इसके बाद 25 प्रतिशत शुल्क पर 3 लाख टन अतिरिक्त आयात की अनुमति प्रदान की गई।साख पत्र पर सभी प्रकार के प्याज के निर्यात की अनुमति दी जाएगी, जो 31 दिसंबर, 2017 तक 850 डॉलर प्रति मी. टन न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) से संबद्ध होगा। राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों को प्याज पर भंडारण सीमा लगाने की सलाह दी गई है। राज्यों से अपनी प्याज की जरूरत की सूचना देने का अनुरोध किया गया, जिससे उपलब्धता बढ़ाने और कीमतों में कमी लाने के लिए आवश्यक आयात की दिशा में कदम उठाए जा सकें।