नयी दिल्ली। केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि उसके रिकार्ड से पता चलता है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बीचोंबीच जंतर मंतर रोड स्थित बंगला सरदार वल्लभभाई पटेल स्मारक ट्रस्ट को आवंटित किया गया था और वह स्वामी अग्निवेश या उनके एनजीओ को आवंटित नहीं हुआ था। शहरी विकास मंत्रालय का यह जवाब सूचना के अधिकार कानून के तहत पूछे गए एक सवाल के जवाब में आया। इसमें कहा गया कि रिकार्ड से पता चलता है कि 30 अप्रैल 1977 के अनुसार जंतर मंतर रोड पर बंगला नम्बर सात ट्रस्ट के नाम आवंटित था। मंत्रालय ने कहा, ‘‘रिकॉर्ड के अनुसार सम्पत्ति किसी भी समय एनजीओ ‘बंधुआ मुक्ति मोर्चा’ को आवंटित नहीं की गई। रिकॉर्ड के अनुसार सम्पत्ति पूर्व में स्वामी अग्निवेश को आवंटित नहीं हुई थी।’’ आरटीआई के जवाब में कहा गया कि साल 2010…2015 की अवधि के दौरान सम्पत्ति के संबंध में कोई शिकायत नहीं थी।
इसमें कहा गया, ‘‘ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली जिससे यह संकेत मिलता हो कि सम्पत्ति नम्बर सात, जंतर मंतर रोड, नयी दिल्ली पर अवैध कब्जा और उसका दुरूपयोग किया गया।’’ आरटीआई जवाब को न्यायमूर्ति विभू बाखरू की एक पीठ के समक्ष उल्लेखित किया गया था जो कि केंद्रीय सूचना आयोग :सीआईसी: के अक्तूबर 2016 के आदेश के खिलाफ कार्यकर्ता अजय गौतम की ओर से दायर एक अर्जी पर सुनवायी कर रही थी। सीआईसी ने उन्हें मांगी गई सूचना इस आधार पर मुहैया कराने से इनकार कर दिया था कि वह सम्पत्ति के कोई पट्टेदार नहीं हैं। अग्निवेश ने यद्यपि कहा कि उनका एनजीओ बंधुआ मुक्ति मोर्चा बंगले से संचालित हो रहा है। अदालत ने केंद्र के जवाब पर गौर किया और गौतम की अर्जी का निस्तारण कर दिया।