नई दिल्ली। आरक्षण की मांग को लेकर देशभर से आए जाटों ने गुरुवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया। इस दौरान जाट नेताओं ने तीखे तेवर दिखाते हुए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को ज्ञापन देने के साथ ही संसद भवन तक मार्च निकालने की चेतावनी दे डाली। धरने के दौरान उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, दिल्ली और पंजाब से बड़ी संख्या में जाट आंदोलनकारी प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे। जिससे प्रदर्शन स्थल की ओर जाने वाली सड़कों पर आवागमन पूरी तरह बाधित रहा। वहीं वाहन चालकों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में खासी जद्दोजहद करनी पड़ी। प्रदर्शनकारियों की भीड़ से निपटने के लिए पुलिस ने प्रमुख चौराहों और मार्गों पर पैनी निगाहे गड़ाए रखी। अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति अध्यक्ष यशपाल मलिक ने कहा, हरियाणा में जाटों को न्याय और आरक्षण दिलाने की मांग को मुखर बनाने के लिए धरना दिया गया। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के अन्र्तगत शिक्षा के साथ सरकारी सेवाओं में आरक्षण देने व गत वर्ष आंदोलन के दौरान जेल में बंद लोगों को रिहा करने, प्रदर्शन के दौरान दायर मामलों को वापस लेने और आंदोलन के दौरान मारे गए व घायल हुए लोगों के परिजनों को नौकरी देने सरीखी मांगों पर सरकार को प्रमुखता से विचार करना होगा। मलिक ने कहा, धरना स्थल पर मौजूद जाट समाज के लोग तब तक वापस अपने घरों की ओर नहीं लौटेंगे, जब तक उनकी मांगें नहीं मान ली जाती। होली के बाद तो आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी। इस मामले में अब जाट समुदाय के लोग अपनी मांगों के समर्थन में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को ज्ञापन देने के साथ ही संसद तक मार्च करेंगे।