जयपुर। जाटों को आरक्षण देने की मांग को लेकर आंदोलनरत जाट आंदोलनकारियों की मांग है कि सरकार ओबीसी आयोग की रिपोर्ट को कैबिनेट के समक्ष रखे। वहीं शनिवार को विधायक विश्वेन्द्र सिंह व अन्य जाट नेताओं के साथ अफसरों ने बातचीत की। हालांकि इस बातचीत को लेकर कोई बड़ा खुलासा नहीं किया गया। फिर भी यह माना जा रहा है कि यह बातचीत काफी हद तक कामयाब रही।
इधर जाट आंदोलन को लेकर जाटों का गुस्सा सड़क व रेल मार्ग पर देखने को मिला। भरतपुर जिले में 37 जगहों पर ट्रैफिक जाम किया गया तो 5 अलग-अलग स्थानों पर रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया गया। आंदोलन के चलते जयपुर सहित दिल्ली, मथुरा, अलवर, आगरा मार्ग व बस सेवा पूरी तरह ठप रही। जबकि प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली-मुम्बई, अलवर-मथुरा व आगरा-जयपुर रेल मार्ग को बाधित किया। जिससे 9 ट्रेने तो पूरी तरह रद्द कर दी गई, वहीं 3 अन्य ट्रेनों को आशिंक रुप से रद्द कर दिया गया। बयाना-आगरा मार्ग से होकर दो ट्रेनों के मार्ग बदल दिए गए।
जाट नेता व विधायक विश्वेन्द्र सिंह ने कहा सरकार के अफसरों के साथ जो बैठक हुई। उसमें यह निर्णय लिया गया कि ओबीसी कमेटी की रिपोर्ट को शीघ्र ही कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा। यह जाट समाज की बड़ी जीत है। बता दें आरक्षण की मांग को लेकर उठा जाट समाज का आंदोलन दो दशक पुराना है। इस आंदोलन की सबसे पहले शुरुआत नवंबर 1997 से हुई। इसके अगले ही साल 1998 में जाट समाज को आरक्षण देने की घोषणा की गई। साल 2000 में राज्य व 2014 में केन्द्र ने आरक्षण दे दिया। बाद में 10 अगस्त 2015 को कोर्ट ने आदेश जारी कर आरक्षण को खत्म कर दिया। दिसंबर 2015 में ओबीसी आयोग का गठन किया गया।