जयपुर। राजस्थान हाइकोर्ट ने जयपुर राजघराने की राजमहल होटल के पास जेडीए की और से जमीन की अवाप्ति और कब्जे की कारवाई मामले को सही ठहराया है।
राजस्थान हाईकोर्ट के जज मनीष भंडारी ने आदेश में जमीन को अवाप्त और जेडीए की भूमि मान लिया है.. कोर्ट ने अगस्त 2016 में जेडीए की कार्रवाई के खिलाफ एसएमएस इंवेस्टमेंट कार्पोरेशन की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया है. याचिका में एसएमएस इंवेस्टमेंट कार्पोरेशन की ओर से कहा गया था कि अवाप्ति भले ही 1958 के यूआईटी एक्ट के तहत हुई, लेकिन इसकी प्रक्रिया 1894 के अवाप्ति अधिनियम के तहत कवर मानी गई.ऐसे में अवाप्ति प्रक्रिया पूरी नहीं होने के कारण 2014 के अवाप्ति कानून के तहत प्रक्रिया स्वत: ही निरस्त हो गई।इसलिए अवाप्ति को निरस्त माना जाए। राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि अवाप्ति 1958 के यूआईटी एक्ट के तहत हुई, इसलिए 2014 का अवाप्ति कानून ही इस अवाप्ति पर लागू नहीं होता है।