मास्टर प्लान मामले में राजस्थान हाईकोर्ट की फटकार के बाद जेडीए और इंफोर्समेंट शाखा के आला अफसरों की शह पर पृथ्वीराज नगर के गोकुलपुरा की कई कॉलोनियों में सैकड़ों दुकानें बनीं और अवैध व्यावसायिक कॉम्पलैक्स खड़े हो गए हैं। कॉमर्शियल गतिविधियों पर हाईकोर्ट की रोक के बावजूद एक भू-कारोबारी ने खड़ी कर दी सैकड़ों दुकानें, दुकानों में बैठे रहते हैं प्रवर्तन निरीक्षक व अफसर ।
– राजेन्द्र शर्मा
जयपुर। राज्य के मास्टर प्लान मामले की सुनवाई में पृथ्वीराज नगर योजना में अवैध तरीके से नियमित की गई कई सहकारी समितियों की कॉलोनियों के एक ही दिन में नियमन और पट्टे दिए जाने को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने जेडीए अफसरों की इस भ्रष्ट कार्यशैली पर कड़ी टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने नौ कॉलोनियों का रिकॉर्ड सीज करते हुए जेडीए अफसरों को सही राह दिखाने की टिप्पणी की है। राजस्थान हाईकोर्ट की इस तरह कड़ी टिप्पणियों के बावजूद जेडीए और इंफोर्समेंट शाखा के अफसर बाज नहीं आ रहे हैं। जेडीए, पीआरएन विंग और इंफोर्समेंट शाखा के आला अफसरों, जोन उपायुक्त की मिलीभगत से भू-कारोबारी पृथ्वीराज नगर में अवैध व्यावसायिक और आवासीय कॉम्पलैक्स के निर्माण में लगे हैं, जबकि राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने आदेश में अवैध व्यावसायिक और आवासीय प्रोजेक्टों पर रोक लगा रखी है। व्यावसायिक निर्माण तो किसी भी सूरत में नहीं हो सकते, हाईकोर्ट ने इस बारे में स्पष्ट आदेश रखे हैं कि पृथ्वीराज नगर में व्यावसायिक गतिविधियों नहीं होनी चाहिए और व्यावसायिक स्थलों पर भी रोक है। हाईकोर्ट के इस आदेश के चलते जेडीए ने भी नियमित कॉलोनियों के नक्शों में कॉमर्शियल पट्टी पर क्रास लगाते हुए साफ लिख रखा है कि यहां कॉमर्शियल गतिविधियां नहीं हो सकती है।
इसके बावजूद पृथ्वीराज नगर के कई क्षेत्रों में अवैध व्यावसायिक गतिविधियां संचालित हो रही है। खासकर पृथ्वीराज नगर के गोकुलपुरा की आधा दर्जन कॉलोनियों में अवैध व्यावसायिक और आवासीय निर्माण सर्वाधिक हो रहे हैं। गोकुलपुरा की कुछ महीने पहले ही नियमित हुई आवासीय कॉलोनी उमराव विहार (मैन कनकपुरा रोड) में सैकड़ों दुकानें खड़ी कर दी गई है। मुख्य सड़क से सटकर बनाई जा रही इन अवैध दुकानों पर प्लास्टर चल रहा है। यह प्लास्टर तीन मंजिला अवैध कॉम्पलैक्स में चल रहा है। चौथी मंजिल की तैयारी चल रही है। करीब साठ दुकानें इस अवैध कॉम्पलैक्स में बन रही है। यह अवैध निर्माण जेडीए के पीआरएन नॉर्थ के आला अफसरों और इंफोर्समेंट के प्रवर्तन निरीक्षकों की मिलीभगत से हो रहा है। करीब पांच-छह महीने पहले शिकायत पर जेडीए ने वहां बन रही दुकानों पर कार्रवाई करते हुए अवैध निर्माणों को रोका था और कुछ दुकानों में पंचर किया था। हालांकि अब मिलीभगत से फिर यहां अवैध निर्माण शुरु हो गए हैं। देखते ही देखते तीन मंजिला अवैध कॉमर्शियल कॉम्पलैक्स खड़ा कर दिया गया। बेसमेंट में भी दुकानें बनाई है। इस अवैध कॉमर्शियल कॉम्पलैक्स को लेकर स्थानीय नागरिक भवानी सिंह जेडीसी वैभव गालरिया, पीआरएन नॉर्थ के अधिकारी और इंफोर्समेंट शाखा के एसपी राहुल जैन को शिकायतें दे चुके हैं, लेकिन शिकायतों के बाद भी ना तो अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है और ना ही अवैध दुकानों को तोडऩे की कवायद की जा रही है, बल्कि दिन0-रात दुकानें खड़ी की जा रही है। तीसरी मंजिल पर दुकानों पर प्लास्टर किया जा रहा है। चौथी मंजिल चढ़ाई जा रही है। इस अवैध कॉम्पलैक्स के नजदीक ही उमराव विहार के मैन रोड पर अवैध दुकानें बन गई है। यहां भी करीब डेढ़ दर्जन से अधिक दुकानें बना दी गई है। यहीं नहीं दूसरी जगहों पर भी अवैध तरीके से मैन रोड पर दुकानें और व्यावसायिक कॉम्पलैक्स खड़े हो गए हैं। शिकायतों के बाद भी इन अवैध कॉम्पलैक्सों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। पीआरएन नार्थ और इंफोर्समेंट शाखा के प्रवर्तन निरीक्षक भू-कारोबारियों के कार्यालयों और निर्माण स्थल पर बैठे रहते हैं और अवैध निर्माणों को बढ़ावा दे रहे हैं।
क ही भू-कारोबारी लगा है अवैध निर्माण में
उमराव विहार में अवैध तरीके से व्यावसायिक कॉम्पलैक्स , दुकानों और मैरिज गार्डनों का संचालन एक ही भू-कारोबारी कर रहा है। इस भू-कारोबारी और उसके परिजनों की जमीनों पर ही उमराव विहार, गंगा विहार, रमेश नगर, अशोक विहार विस्तार आदि कॉलोनियां बसी हुई है। यह भू-कारोबारी ही मैन रोड पर अवैध दुकानों का कॉम्पलैक्स बना चुका है। कई दुकानें बन रही है। बिना लाइसें स के मैरिज गार्डन भी शुरु कर दिए हैं। इस भू-कारोबारी की जेडीए के आला अफसरों और इंफोर्समेंट शाखा के अफसरों से गहरी मिलीभगत है, जिसके चलते इन पर कार्रवाई भी नहीं हो रही है। राजस्थान हाईकोर्ट की कॉमर्शियल गतिविधियों पर रोक के आदेश होने पर भी ये अवैध दुकानें व कॉम्पलैक्स खड़े कर दिए हैं। जेडीए नक्शे में भी कॉमर्शियल गतिविधियों पर रोक है, फिर भी कमीशन के फेर में जेडीए अफसर चुप्पी साधे हुए हैं। तीन-तीन मंजिला अवैध निर्माण को देख आंखें मूंद रखी है।