जयपुर। बीती शाम दिल्ली में भाजपा शासित मुख्यमंत्रियों की बैठक के बाद तेजी से चले राजनीतिक घटनाक्रम के तहत मुख्मयंत्री वसुंधरा राजे ने अपने इस्तीफे की पेशकश कर दी।
हालांकि पार्टी आलाकमान ने अभी कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया है, लेकिन माना जा रहा है कि त्यागपत्र स्वीकार हो सकता है। मुख्यमंत्री राजे को केन्द्र में विदेश् मंत्री बनाया जाएगा और दलित वोट बैंक को साधने के लिए प्रदेश में विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल नए मुख्यमंत्री हो सकते है।
इसके साथ ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद पर भी बदलाव हो सकता है। प्रदेश अध्यक्ष परनामी राज्य मंत्रिमण्डल में शामिल किए जाएंगे और पार्टी से नाराज चल रहे राजपूतों को मनाने के लिए संसदीय कार्य तथा पंचातयराज मंत्री राजेन्द्र राठौड नए प्रदेश अध्यक्ष हो सकते है। इसके साथ ही ब्राहम्ण समुदाय को पार्टी से जोडे रखने के लिए घनश्याम तिवाडी विधानसभा अध्यक्ष बनाए जा सकते है।
प्रदेश में उपचुनाव में मिली हार के बाद प्रदेश नेतृत्व में बदलाव को लेकर चर्चाएं जोरो पर थी। बुधवार को दिल्ली में भाजपा शासित मुख्यमंत्रियो की बैठक को इसी मायने में काफी अहम माना जा रहा था। बैठक में उपचुनाव की हार का मुद्दा छाया भी रहा, क्योंकि राजस्थान के साथ ही मध्य प्रदेश में भी पार्टी दो सीटों पर चुनाव हार गई। लेकिन राजस्थान की हार को काफी गम्भीरता से लिया गया।
पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार बैठक के बाद मुख्यमंत्री राजे ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को अपने त्यागपत्र की पेशकश कर दी। हालांकि शाह ने अभी राजे को कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया, लेकिन बताया जाता है कि पार्टी विधानसभा सत्र के बाद प्रदेश में बडे बदलाव का मन बना चुकी है.
-जातिगत वोट बैक साधने की होगी कोशिश
सूत्रों के अनुसार पाटी इस बदलाव में कांग्रेस की राह पर चलते हुए जातिगत वोट बैंक साधने की कोशिश करेगी। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के व्यक्तित्व को देखते हुए केन्द्र सरकार में विदेश मंत्री बनाया जा सकता है। मौजूदा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को कोई और बडी जिम्मेदारी दी जा सकती है।
प्रदेश में दलित वोट बैंक को साधने के लिए पहले प्रदेश अध्यक्ष पद पर अर्जुन मेघवाल को लाए जाने की चर्चा की थी, लेकिन अब इस रणनीति में कुछ बदलाव किया जा सकता है। इसके तहत कैलाश मेघवाल को मुख्यमंत्री पद दिया जा सकता है। वे काफी वरिष्ठ नेता है और अनुभव भी काफी है।
पार्टी मानती है कि इसका बडा लाभ पार्टी को मिल सकता है। इसके साथ ही प्रदेश अध्यक्ष पद पर राजेन्द्र राठौड को नियुक्त किया जा सकता है। बताया जाता है कि पिछले दिनों एक बैठक में उन्होने संगठन में काम करने की इच्छा जाहिर भी की थी। राठौड को प्रदेश अध्यक्ष बनाने से पार्टी से नाराज चल रहे राजपूतों को साधा जा सकेगा।
राठौड़ की कार्यकर्ताओं के बीच पकड भी काफी अच्छी है। इसके साथ ही राजे के पुत्र के दुष्यंत सिंह को भी पार्टी संगठन में कोई बडी जिम्मेदारी मिल सकती है, क्योंकि पार्टी के पास अभी कोई बडा जाट नेता नही है।
ऐसे में दुष्यंत सिंह को पार्टी के जाट चेहरे के रूप में स्थापित किया जा सकता है। ब्राह्मण समुदाय को साधने के लिए पार्टी अंसतुष्ट चल रहे घनश्याम तिवाडी को विधानसभा अध्यक्ष बना सकती है। तिवाडी संसदीय परम्पराओं का अच्छा ज्ञान रखते हैं और राजे के दिल्ली जाने के बाद उन्हें पार्टी में सक्रिय होने से कोई आपत्ति भी नहीं है।
-बुरा ना मानो होली है….वैसे राजनीति में सब संभव हे….