नयी दिल्ली, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली द्वारा दायर10 करोड़ रूपये के मानहानि के दूसरे मामले का आज दिल्ली उच्च न्यायालय में विरोध किया है। यह वाद मुख्य मंत्री के पूर्व वकील राम जेठमलानी द्वारा उनके खिलाफ एक आपत्तिजनक शब्दके इस्तेमाल को लेकर दायर किया गया है। केजरीवाल ने न्यायमूर्ति मनमोहन के समक्ष दावा किया कि उन्होंने कभी भी अपने तत्कालीन वकील को साक्ष्यों को दर्ज किये जाने के दौरान जेटली के खिलाफ किसी आपत्तिजनक शब्द के इस्तेमाल का निर्देश नहीं दिया था। जेटली ने दूसरी अवमानना याचिका तब दायर की थी जब मूल मानहानि याचिका पर अदालती कार्यवाही के दौरान जेठमलानी ने कथित तौर पर खुली अदालत में जेटली को‘‘ गाली’’ दी थी। जेटली ने आम आदमी पार्टी( आप) प्रमुख और पार्टी के पांच अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ मानहानि का मामला दायर किया था।
मुख्यमंत्री ने हालांकि यह कहा कि‘‘ पूर्ण विशेषाधिकार के आधार के अलावा यह वाद भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा126 के तहत भी निरूद्ध है। अधिवक्ता अनुपम श्रीवास्तव के जरिये दायर अपने लिखित बयान में केजरीवाल ने कहा कि यह बयान कथित तौर पर बचावकर्ता( केजरीवाल) के निर्देश पर वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा( बिना किसी शपथ के) कथित तौर पर लगाए गए मानहानिकारक आरोपों पर आधारित है जिसका खुलासा वह नहीं कर सके। साक्ष्य अधिनियम की धारा126 एक अधिवक्ता और उसके मुवक्किल के बीच हुई पेशेवर बातचीत का खुलासा करने से रोकती है। इसमें अपने मुकदमे के संबंध में मुवक्किल द्वारा वकील को दिये गए निर्देश भी शामिल हैं। पिछले साल17 मईको दिल्ली उच्च न्यायालय के संयुक्त रजिस्ट्रार के समक्ष मंत्री से जिरह के दौरान जेठमलानी ने एक शब्द का इस्तेमाल किया था जिसे जेटली ने आपत्तिजनक पाया था। अधिवक्ता मानिक डोगरा के जरिये दायर दूसरे वाद में कहा गया कि मंत्री की ईमानदार और सत्यनिष्ठ छवि है। उन्होंने लोकसेवा करने के लिये अपनी पेशेवर आय का काफी त्याग किया है। आप नेता ने जेटली पर दिल्ली एंड डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट असोसिएशन( डीडीसीए) का अध्यक्ष रहते हुये भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया था। जेटली वर्ष2000 से2013 तक इस पद पर रहे थे। इन आरोपों से इनकार करते हुये जेटली ने दिसंबर2015 में आप नेताओं के खिलाफ10 करोड़ की मानहानि का मुकदमा दायर किया था।