नई दिल्ली। केरल में कथित लव जिहाद के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी को गहनता से पड़ताल के आदेश जारी किए हैं। कोर्ट इस मामले में सुनवाई एक मुस्लिम युवक की याचिका पर कर रहा है। कोर्ट ने अपने आदेशों में कहा कि एक बालिग महिला ने अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन व शादी कर ली है तो उसे अपने पति से अलग कैसे किया जा सकता है।
कोर्ट ने रिटायर जस्टिस आरवी रविंद्रन को इस जांच की निगरानी करने को कहा है। क्योंकि इस घटना के पीछे चरमपंथी हाथ होने की बात कही जा रही है। कोर्ट ने लड़की के पिता से भी इस मामले में जवाब मांगा है। इसके पीछे कारण यह है कि लड़की अपने पिता के साथ ही अज्ञात स्थान पर रह रही है। एनआईए मामले में इस बात पर जांच कर रही है कि महिला के तार क्या आतंकी संगठन आईएसआईएस से तो नहीं जुड़े हैं। बता दें केरल राज्य से जुड़े इस मामले में आरोप है कि एक हिंदू लड़की को बहला-फुसलाकर शादी की गई है। केरल हाईकोर्ट इस शादी को रद्द कर चुका है, जहां इसे लव जेहाद का मामला बताया गया था। हाईकोर्ट ने लड़की को उसके पिता के पास भेज दिया था।
-मुस्लिम पति पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
शादी रद्द किए जाने के केरल हाईकोर्ट के फैसले खिलाफ लड़की के मुस्लिम पति ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। युवक ने वकील कपिल सिब्बल और इंदिरा जयसिंह के जरिए अपील की कि उसकी पत्नी बालिग है और किसी से भी शादी करने के साथ ही किसी भी धर्म को मानने के लिए स्वतंत्र है। वकीलों ने अपनी दलित में कहा कि केरल हाईकोर्ट ने न केवल शादी को रद्द कर दिया वरन पति-पत्नी की मुलाकात पर भी रोक लगा दी है। ऐसे सुप्रीम कोर्ट जांच कराए और लड़की के बयान दर्ज कराएं। इस समूचे मामले में की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए को आदेश दिया है। आदेशों में कहा गया कि एनआईए 10 दिन के भीतर जरुरी सबूत पेश करे। इसी तरह लड़की के पिता को भी आदेश दिया है कि वो 10 दिनों के भीतर ऐसे दस्तावेज प्रस्तुत करे, जिसमें लड़की को बहला-फुसलाकर शादी कराई गई है।