दिल्ली. राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर किसान मुक्ति संसद आज दूसरे दिन भी जारी रहा। आत्महत्या कर चुके महाराष्ट्र के किसानों के बच्चों ने अपनी पीड़ा को एक नाटक के ज़रिए सबके सामने रखा। इस नाटक में उन लोगों ने दिखाया कि एक किसान की आत्महत्या के बाद उसके परिवार पर क्या गुज़रती है। बच्चों के इस प्रदर्शन ने दिल्ली के लोगों को झकझोर कर रख दिया।
उत्तरप्रदेश के आलू किसानों ने भी आलू के गिरते दाम के ख़िलाफ़ किसान मुक्ति संसद में अपना विरोध प्रदर्शन किया। उत्तर प्रदेश से आलू किसानों के नेता आमिर ने कहा – “सरकार चाहती है कि हम अपनी फ़सल कोल्ड स्टॉरिज में रखें। लेकिन सच्चाई ये है कि हमारी फसल का जो दाम हमें मिल रहा है वो कोल्ड स्टॉरिज में रखने के ख़र्च से भी काफ़ी कम है। तमिलनाडु से आयी एक किसान की पत्नी रानी, जिसके पति को बैंक अधिकारियों ने इतना अपमानित किया कि उसने आत्महत्या कर ली, ने बताया – “बैंक के अधिकारियों ने मेरे पति से पूछा कि तुम बैंक का लोन नहीं चुका पा रहे हो तो अपनी पत्नी के कपड़े कैसे ख़रीद रहे हो। क्यूँ हमेशा ग़रीब को ही अपमानित होना पड़ता है? और, उन अमीर लोगों का क्या जो करोड़ों रुपये लेकर देश से भाग जाते हैं?” किसान मुक्ति संसद को सम्बोधित करते हुए तमिलनाडु के किसानों के नेता ऐय्यकन्नु ने कहा – “तमिलनाडु के किसान सूखा जैसी स्थिति होने के कारण मर रहे हैं और हमारे विधायक किसानों के मुद्दों पर काम करने की बजाए अपनी सैलरी बढ़ाने की माँग लिए बैठे हैं।”
-वो हमें मदद करने आये थे या सेल्फी लेने आये थे
आज उन किसानों के बच्चे भी जंतर मंतर पर जमा हुए जिन्होंने आत्महत्या कर ली थी, उन बच्चों ने अपनी वेदना एक लघु नाटक के माद्ध्यम से बयान की। एक बच्चा अशोक पाटिल ने अपनी व्यथा प्रकट करते हुए कहा कि बहुत सारे नेता हमारे घर हमसे मिलने आये और हमसे बहुत सारे वादे करके गए, लेकिन हमें मिला क्या? सिर्फ अगले दिन के अखबार में नेताओं के साथ छपा एक फोटो। वो हमें मदद करने आये थे या सेल्फी लेने आये थे?” मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी किसान मुक्ति संसद में आये। वो भी किसानों की इन दो माँगों से सहमत थे कि किसानो को ऋणमुक्त किया जाए तथा उनकी आय को बढ़ाया जाए। उन्होंने कहा कि यह समय अपनी पार्टी तथा राजनीति से ऊपर उठकर हमें किसानों के साथ न्याय के इस संघर्ष में साथ होना चाहिए।