जयपुर। राजस्थान सरकार के विवादित काले कानून (सीआरपीसी में संशोधन करके लोकसेवकों पर मुकदमे से पहले सरकार की अनुमति लेने व अन्य प्रावधान) के चलते आपराधिक मुकदमों से बच रहे लोकसेवकों पर मामले दर्ज होने शुरु हो गए हैं। इस विवादित बिल के तय समय में मंजूरी नहीं लेने पर यह बिल लागू नहीं हो पाया। अब सरकारी लोकसेवकों पर मुकदमें दर्ज होना और कोर्ट में परिवाद दाखिल होना शुरु हो गया है। इस बिल पर रोक लगने के बाद जयपुर नगर निगम सिविल लाइन जोन के उपायुक्त अमिताभ कौशिक, जेईएन सुशील यादव व अन्य के खिलाफ ज्योति नगर थाने में कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। अस्सी वर्षीय कंहैया लाल भूसर के परिवाद पर अपर मुख्य मेट्रोपोलिट्रिन मजिस्ट्रेट क्रम आठ जयपुर मेट्रो ने यह आदेश दिया है।
भूसर ने सरदार पटेल मार्ग स्थित अपने पुश्तैनी मकान को तोड़कर फिर से उस पर निर्माण करने के लिए नगर निगम से अनुमति ली। निगम से नक्शे पास करवाकर मकान बना लिया, लेकिन सिविल लाइन निगम आयुक्त, जेईएन व अन्य ने उन्हें नोटिस देकर निर्माण को अवैध बताया और सील करने को कहा। भूसर ने निगम की अनुमति और स्वीकृति नक्शे पेश किए, लेकिन निगम प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया। उनके मकान को सील कर दिया। परिवाद में आरोप लगाया है कि मकान सील नहीं करने को लेकर निगम के नामजद आरोपियों ने उनसे पांच लाख रुपए मांगे। नहीं देने पर उनके मकान को सील कर दिया गया। इस मामले को लेकर भूसर ने कोर्ट में अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ परिवाद दाखिल किया।