Lok Sabha will consider the National Sports Ethics Commission Bill

नयी दिल्ली। खेलों में शक्तिवर्धक औषधि के प्रयोग, मैच फिक्सिंग, आयु दर्ज कराने में कपट, महिलाओं के उत्पीड़न के निराकरण सहित खेलों में नैतिकतापूर्ण पद्धतियों और ईमानदारी से खेलना सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रीय खेल आचार आयोग का गठन करने संबंधी भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर के निजी विधेयक पर लोकसभा में विचार किया जायेगा । लोकसभा सचिवालय की बुलेटिन के अनुसार, राष्ट्रपति को सांसद अनुराग ठाकुर के राष्ट्रीय खेल आचार आयोग विधेयक 2016 की विषयवस्तु के बारे में सूचित किया गया है और उन्होंने इस विधेयक पर लोकसभा में विचार करने को मंजूरी दी है । विधेयक के प्रस्तावों में कहा गया है कि इस कानून के लागू होने के छह महीने के भीतर प्रत्येक खेल परिसंघ को आचार समिति के गठन केलिये अपने नियम बनाने चाहिए । खेल परिसंघ के सदस्यों का कार्यकाल चार वर्षो का होगा और कोई भी सदस्य पुन: निर्वाचित या मनोनित नहीं हो सकता है । इसमें शिकायत प्राप्त करने और इनका निपटारा करने का एक तंत्र होगा ।

इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार इस कानून के अमल में आने के छह महीने के भीतर खेलों में आचार संहिता को लागू करने के लिये राष्ट्रीय खेल आचार आयोग का गठन करेगी । केंद्र सरकार इस राष्ट्रीय आयोग के चार सदस्यों की नियुक्ति उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश से विचार विमर्श करके करेगी । ये सदस्य उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश हो सकते हैं । आयोग का मुख्यालय नयी दिल्ली में होगा और इसकी शाखाएं जरूरत के अनुरूप अन्य स्थानों पर भी होंगी । सांसद अनुराग ठाकुर के इस निजी विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि हाल के समय में भारतीय क्रिकेट और अन्य खेलों में कई खिलाड़ियों पर मैच फिक्सिंग के आरोप लगे । यह कुछ वर्ष पहले की ही बात है, जब भारतीय क्रिकेट में मैंच फिक्सिंग प्रकरण सामने आया और कुछ प्रमुख खिलाड़ियों पर फिक्सिंग के आरोप लगे । इस मामले में आरोपी खिलाड़ियों पर भारतीय दंड संहिता 1860 के तहत बेईमानी और धोखाधड़ी के आरोप लगाये गए । इसके अलावा इन पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 के तहत भी आरोप निर्धारित किये गए । हालांकि ये इनके पेशे पर लागू नहीं होते हैं ।

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