जयपुर। विश्व धरोहर सूची में शामिल जंतर-मंतर वेधशाला में प्रवेश टिकटों में धांधली या कहें पर्यटकों की जेब पर डाका डालने की आदत में सुधार नहीं आया है। एक साल पहले सवा करोड़ रुपए के टिकट घोटाले के दाग अभी छूटे नहीं है, लेकिन यहां के कर्मचारी और अफसर सरकार को चपत लगाने और खुद की जेब भरने से बाज नहीं आ रहे हैं। शनिवार को 14 जर्मन पर्यटक दल के साथ आए एक गाइड भवानी सिंह के साथ लूट जैसा बर्ताव सामने आया है। टिकट की पूरी राशि देने के बाद भी पांच सौ रुपए कम देना बताते हुए गाइड के साथ बदसूलकी की गई। गाइड को पांच सौ रुपए अतिरिक्त देने पड़े तो उन्हें टिकट मिला, तब तक चौदह पर्यटक खिड़की पर खड़े रहे।
इस संबंध में गाइड ने वेधशाला अधीक्षक शशिप्रभा स्वामी और गोपाल शर्मा को पांच सौ रुपए अधिक लेने की शिकायत की। करीब एक घंटे तक कोई सुनवाई नहीं हुई। बाद में टिकट कार्यालय के कैमरे देखे तो पूरे तीन हजार रुपए कर्मचारी को देना सामने आया। इस पर गाइड को तीन हजार के अलावा अतिरिक्त दिए पांच सौ रुपए वापस दिलवाए। लिखित शिकायत करने के लिए रजिस्ट्रर मांगा और लिखित शिकायत देनी चाही तो कर्मचारियों ने रिपोर्ट नहीं ली। कर्मचारी यह कहते रहे कि अब आपको पांच सौ रुपए दिलवा दिए हैं। क्यों शिकायत करते हो। कर्मचारी की नौकरी चली जाएगी। गाइड ने कहा कि लूट का नया तरीका ईजाद कर लिया। कम पैसे बताकर टिकट नहीं दे रहे। पर्यटकों की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं। आप जैसे भ्रष्ट अफसरों-कर्मचारियों और विभाग की वजह से राजस्थान का पर्यटन का बट्टा बैठा हुआ है। काफी कहने पर लिखित शिकायत नहीं ली गई। काफी देर तक चले घटनाक्रम में जर्मन पर्यटक असहाय से दिखे।
– हो चुका है टिकट घोटाला
जंतर मंतर वेधशाला में प्रवेश टिकटों का बड़ा घोटाला हो चुका है। करीब सवा करोड़ के घोटाले में तीन कर्मचारी मनीष माथुर, संदीप ऐरन और एक अन्य की गिरफ्तारी भी हुई। लेकिन इसके बावजूद स्मारकों में प्रवेश टिकट व दूसरे मामलों में चोरी रुक नहीं रही है। पर्यटक टिकटों को रखकर पुन बेचने का गौरखधंधा खूब चल रहा है। अब पर्यटकों से कम राशि देने का हवाला देकर अतिरिक्त राशि की मांग करके लूटा जा रहा है। कला संस्कृति व पुरातत्व विभाग राजस्थान पर्यटन की छवि को धूमिल करने वाले ऐसे अफसर-कर्मचारियों पर कार्रवाई नहीं कर रहा है, बल्कि उन्हें उपकृत करते रहते हैं। ताकि आला अफसरों की जेबें भी भरती रहे।