श्रीनगर। घाटी में हिंसा पर उतारु पत्थरबाजों से निपटने के लिए स्थानीय युवक को आर्मी जीप से बांधने को लेकर चर्चाओं में आए मेजर नितिन लीतुल गोगोई मंगलवार को मीडिया के सामने आए। मेजर गोगोई ने उन हालातों को बयां किया, जिसके तहत इस प्रकार का कदम उठाया गया। गोगोई ने मीडिया को बताया कि उस समय हालात एकाएक विकट हो गए। स्थानीय लोगों की जान बचाने के लिए ही यह कदम उठाया गया। उस दरम्यान यदि फायरिंग का आदेश देता तो लोगों की जान चली जाती। वो भी एक या दो नहीं कम से कम एक दर्जन लोगों की मौत हो जाती। बता दें मेजर गोगोई को सेना प्रमुख ने आतंकवाद निरोधक कार्यवाही के लिए सम्मानित किया है। हालांकि सेना ने यह साफ कर दिया कि मेजर के सम्मान का जीप वाले वीडियो से कोई लेना देना नहीं है। फिर राजनीतिक पार्टियों ने इस पर तीखी प्रतिक्रियाएं दी है।
-भीड़ में फंस गए थे मतदानकर्मी
मेजर गोगाई ने बताया कि वाकया 9 अप्रैल बडगाम उप चुनाव का है। चुनाव में सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षाबलों के साथ कॉर्डिनेट कर रहे थे। सुबह 9.15 बजे सूचना मिली की गुंडीपुरा के पास भीड़ पथराव कर रही है और कुछ मतदानकर्मी व पुलिस वाले मतदान केन्द्र में फंस गए हैं। 30 मिनट बाद मौके पर जा पहुंचे। वहां पहुंचकर स्थिति को नियंत्रण में किया। साथ ही पोलिंग पार्टी की सुरक्षा को सुनिश्चित किया। यहां से करीब डेढ़ किमी. की दूरी पर उतलीग्राम से एक ओर डिस्ट्रेस कॉल मिला। मौके पर पहुंचे तो पथराव जारी था। जिनमें महिलाएं व बच्चे पत्थर फैंक रहे थे। ऐसे में गाड़ी से निकला मुमकिन न था। लाउडस्पीकर पर घोषणा भी कि वे पोलिंग पार्टी को लेने के लिए आए हैं। लेकिन लोग उनकी बात को सुनने को तैयार ही नहीं हुए।
-भीड़ को उकसाता नजर आया तो पकड़ लिया
मेजर गोगोई ने बताया कि करीब 30 मीटर की दूरी पर एक शख्स दिखाई दिया, जो पत्थर फैंकने के साथ ही भीड़ को उकसा रहा था। इस पर क्विक रेसपांस टीम को आदेश दिया कि उसे पकड़े। माजरा भांपकर उक्त शख्स भागने लगा, लेकिन टीम ने जैसे तैसे उसे पकड़ ही लिया। उसकी पहचान फारुख अहमद डार के रुप में हुई, जिसे जीप में बैठा लिया। उसे लेकर पोलिंग पार्टी की ओर बढ़े तो लोगों ने उन पर पत्थर व पेट्रोल बम फैंका। लेकिन पेट्रोल बम फटा नहीं।
-जरुरी था लोगों की जान बचाना
लाउडस्पीकर से एलान करने के बाद भी भीड़ नहीं हटी तो एकाएक ख्याल आया कि उसे ही जीप के आगे बांध दिया जाए। यह कदम सिर्फ स्थानीय लोगों को बचाने के लिए ही था। मौके पर 1200 से अधिक लोग जमा थे, जो उनकी नहीं सुन रहे थे। फायरिंग के आदेश देते तो लोगों की जान जाती। ऐसे में यह कदम उठाना पड़ा।
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