जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने रिजर्व बैंक, केन्द्रीय सतर्कता आयोग और आधा दर्जन से अधिक बैंकों को नोटिस जारी कर पूछा है कि बैंकों को अपने स्तर पर मनमर्जी का आॅडिटर नियुक्ति करने की शक्ति क्यों दी गई है। न्यायाधीश एसपी शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश विनोद गुप्ता की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता डीपी शर्मा ने बताया कि बैंकों की आॅडिट के लिए आरबीआई अपने स्तर पर आॅडिटर नियुक्ति करता था। आरबीआई की ओर से वर्ष 2008-09 में यह शक्ति बैंकों को दी गई है।
जिसके चलते आरबीआई आॅडिटर्स की सूची बैंक को मुहैया कराता है। इस सूची में से आॅडिटर चयन की छूट बैंक को दी गई है। इसके साथ ही आरबीआई ने आॅडिटर चयन के लिए नियम बनाए हैं। जिसके चलते बैंक को स्थानीय आॅडिटर की नियुक्ति करनी होती है। स्थानीय आॅडिटर नहीं मिलने पर पास के दूसरे जिले से आॅडिटर नियुक्त होगा। ऐसा संभव नहीं हो तो नजदीकी राज्य से आॅडिटर बुलाया जाएगा।
याचिका में कहा गया कि इस नियम की भी पालना नहीं की जा रही है। याचिका में नई व्यवस्था को चुनौती देते हुए कहा गया कि बैंकों को अपने स्तर पर आॅडिटर नियुक्त करने की छूट देने से आॅडिटर की स्वतंत्रता पर प्रश्नचिन्ह लगता है। इसके अलावा आॅडिटर की नियुक्ति बैंक के स्तर पर होने से वह स्वतंत्र आॅडिट भी नहीं कर पाएगा। याचिका में गुहार की गई है कि आॅडिटर नियुक्त करने के लिए आरबीआई की ओर से तय नियमों की पालना की जाए और ऐसा नहीं करने वाले बैंक अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने आरबीआई सहित आधा दर्जन बैंकों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।