Note-Bandi

नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नोटबंदी और माल एवं सेवा कर: जीएसटी: की ‘दोहरी मार’ को अर्थव्यवस्था के लिए तबाही करार देते हुए मोदी सरकार पर हमला बोला और कहा कि सरकार ने इससे कोई सबक नहीं सीखा है। सिंह ने संसद में नोटबंदी को संगठित लूट और ऐतिहासिक भूल कहा था। नोटबंदी के एक साल पूरे होने के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी पर कांग्रेस की ओर से हमले तेज कर दिए गए हैं। सिंह ने सरकार की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना को भी आड़े हाथ लिया। उन्होंने इस परियोजना को सिर्फ दिखावा बताया। बुलेट ट्रेन परियोजना मुंबई को अहमदाबाद से जोड़ेगी।

सिंह ने कहा कि वह उस बात को फिर दोहरा रहे हैं जो वह पहले कह चुके हैं कि नोटबंदी एक ‘संगठित लूट और वैधानिक डाका’ है। उन्होंने इसे बिना सोचे समझे लिया गया कदम तथा ‘विनाशकारी नीति’ बताया, जो अपने उद्देश्यों को हासिल करने में विफल रही। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जीएसटी को जल्दबाजी में क्रियान्वित किया गया है। गुजरात में अगले महीने विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और कांग्रेस ने मोदी को उनके गृह राज्य में चुनौती देने के लिए 85 वर्षीय सिंह को मैदान में उतार दिया है जो एक जानेमाने अर्थशास्त्री हैं। यहां अपनी पार्टी द्वारा आयोजित लघु एवं मझोले कारोबारियों के सम्मेलन में ज्यादातर लघु और मझोले उद्यमी मौजूद थे जिन्हें जीएसटी को लेकर लगातार दिक्कतें आ रही हैं। बाद में सिंह ने एक संवाददाता सम्मेलन को भी संबोधित किया। संवाददाताओं से बातचीत में मोदी पर तंज कसते हुए पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुना करने की मोदी की योजना भी चुनावी जुमला ही साबित होगी।

उन्होंने कहा कि डींग और ड्रामा को साहस और दृढ़ निश्चय तथा बेहतर तरीके से क्रियान्वयन नहीं कहा जा सकता। पूर्व प्रधानमंत्री ने पार्टी के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि नोटबंदी और जीएसटी की वजह से कारोबारी समुदाय के मन में कर का आतंक बैठा है। सिंह ने कहा कि निश्चित रूप से नोटबंदी कर चोरी तथा कालेधन को समाप्त कराने का कोई तरीका नहीं था। ‘‘नोटबंदी सिर्फ राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए थी, जबकि असली अपराधी इसमें बच गए हैं। मैं एक बार फिर दोहराता हूं कि यह संगठित लूट और कानूनी डकैती थी। ’’ कांग्रेस द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मनमोहन सिंह ने कहा कि मोदी को दो महान गुजरातियों महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल से प्रेरणा लेनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि अच्छी तरह से कामकाज के संचालन में दिल और दिमाग दोनों शामिल होते हैं। ‘‘मुझे यह कहते हुए दुख होता है कि केंद्र सरकार दोनों मोर्चों पर अपना कर्तव्य का निर्वहन करने में विफल रही है। उन्होंने कहा कि इनकी वजह से लोगों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में सोचें। वृद्धि के अवसर गंवा दिए, नौकरियां गई, युवाओं के लिए अवसर समाप्त हुए। कारोबार बंद हो गए और उद्यमी का सफलता हासिल करने का प्रयास निराशा में बदल गया।

सिंह ने इस बात पर क्षोभ जताया कि सरकार ने इस ऐतिहासिक भूल से किसी तरह का सबक नहीं सीखा है। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैंने सरकार से संसद में गरीब और सीमान्त किसानों, व्यापारियों तथा लघु एवं मझोले उद्यमियों को राहत प्रदान करने की अपील की थी। नोटबंदी से यह वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। राहत देने के बजाय सरकार ने ऐसा जीएसटी थोप दिया जिसका डिजाइन खराब है। जीएसटी को जल्दबाजी में लागू किया गया।’’ उन्होंने कहा कि यह दोहरे झटके अर्थव्यवस्था के लिए पूर्ण तबाही वाले थे।

सिंह ने कहा, ‘‘क्या प्रधानमंत्री ने रिजर्व बैंक गवर्नर को इस पर हस्ताक्षर के लिए कहते समय या जीएसटी को लागू करते समय महात्मा के विवेक पर सोचना बंद कर दिया।’’ उन्होंने आगे कहा कि मोदी इन दो नीतियों के असंगठित क्षेत्र और रोजगार पर पड़ने वाले प्रभाव को समझने में विफल रहे। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘यदि प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी की उक्ति पर ध्यान दिया होता, तो तो देश के गरीबों को यह सब नहीं झेलना पड़ता।’’ मोदी सरदार पटेल से भी प्रेरणा नहीं ले पाए।

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