वी.के. सक्सेना ने इस कदम की सराहना करते हुए कहा, ‘यह प्लास्टिक के उत्पादों के स्थान पर मिट्टी से बने उत्पादों का उपयोग करने के लिए उत्तर-पश्चिमी रेलवे द्वारा उठाया गया एक स्वागत योग्य कदम है। मिट्टी से बने बर्तनों के बाजार का अभाव होने के कारण देश के कुम्हारों को अपनी जीविका चलाने के लिए अन्य छोटे कार्यों को अपनाना पड़ रहा है। इसमें बड़ी संख्या में कामगार लगे हुए हैं। केवीआईसी ने कुम्हार समुदाय को सशक्त बनाने के लिए पिछले वर्ष कुम्हार सशक्तिकरण योजना शुरू की थी और पत्थरों के पुराने चाकों के स्थान पर 10,000 इलेक्ट्रिक चाकों का वितरण किया था। 400 रेलवे स्टेशनों की जरूरतों की पूर्ति के लिए केवीआईसी ने इस वर्ष देश भर में 30,000 इलेक्ट्रिक चाक वितरित करने की योजना बनाई है। 30,000 इलेक्ट्रिक चाकों की मदद से प्रति दिन लगभग 2 करोड़ कुल्हड़ तैयार किये जाएंगे। इससे न केवल संबंधित क्षेत्र के कुम्हार समुदाय का आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि पर्यटकों की अच्छी सेहत को बनाए रखने में भी मदद मिलेगी। यही नहीं, ट्रैवल एवं पर्यटन उद्योग को अनूठे भारतीय स्वाद का आनंद भी मिलेगा।’
केवीआईसी देश भर में कुम्हारों को सशक्त बनाने के लिए अनेक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता रहा है। केवीआईसी ने अकेले राजस्थान में वर्ष 2018 से लेकर अब तक 1500 से भी अधिक इलेक्ट्रिक चाक वितरित किए हैं। इसके साथ ही केवीआईसी ने ‘कुम्हार सशक्तिकरण योजना’ के तहत अब तक लगभग 6000 कुम्हारों को आजीविका प्रदान की है।