- राकेश कुमार शर्मा
जयपुर। जयपुर की बसावट के समय से ही मौजूद पुरोहित जी के कटले में स्थित अलमशहूर कल्याण महाराज (कल्याण धणी) मंदिर डिग्गी कटला का अस्तित्व खतरे में पड़ता दिख रहा है। अगर नहीं चेते तो कभी कल्याण धणी के पदयात्रियों के लिए बनाया कल्याण महाराज मंदिर और उस मंदिर के अधीन डिग्गी कटला पूरी तरह से बाजार में तब्दील हो जाएगा। ऐतिहासिक और प्राचीन धरोहर में शामिल इस मंदिर की जिम्मेदारी संभाल रखे ट्रस्ट और उसके पदाधिकारी ही इस डिग्गी कटले को मार्केट में तब्दील करने में लगे हुए हैं। ऐसा नहीं है कि इसे बचाने के लिए लोग प्रयास नहीं कर रहे हैं। बहुत से लोग और संगठन डिग्गी कटले में पहले से ही अवैध तरीके से बन चुकी दुकानों के ऊपर बन रही नई दुकानों और नए निर्माण को बचाने में लगे हुए हैं। इसे रोकने के लिए जयपुर के प्रथम नागरिक महापौर अशोक लाहोटी, उप-महापौर मनोज भारद्वाज, स्थानीय विधायक मोहन लाल गुप्ता, जयपुर नगर निगम के आयुक्त हेमंत गेरा, हवामहल जोन पश्चिम के आयुक्त दिनेश पारीक से मिलकर कई बार लिखित में शिकायतें दे चुके हैं, लेकिन ना तो ये कटले को बचाने के लिए आगे आ रहे हैं और ना ही अवैध निर्माण को रोकने की कार्रवाई की जा रही है। बल्कि अफसरों को कागजी निर्देश देकर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। कोई कार्रवाई नहीं करके नगर निगम प्रशासन भी अंदरखाने अवैध निर्माण में सहयोग कर रहा है। सिटी सर्वे में डिग्गी कटला आवासीय श्रेणी में है, लेकिन पहले भी ट्रस्ट पदाधिकारियों और नगर निगम प्रशासन की मिलीभगत से रातों रात इसे मार्केट में तब्दील कर दिया था। जिन कमरों में कभी पद यात्री ठहरते थे, उन्हें दुकानों में तब्दील कर दिया गया था। अब उन्हीं दुकानों के ऊपर नया निर्माण करके वहां भी दुकानें खड़ी की जा रही है। दिन-रात यह काम चल रहा है। करीब एक पखवाड़े से अधिक समय से निर्माण हो रहा है। दुकानों की सेप में ये निर्माण करवाया जा रहा है। शिकायतकर्ता भाजपा जयपुर शहर के पूर्व महामंत्री एडवोकेट अजय पारीक, सामाजिक कार्यकर्ता बसंत फागीवाला, धरोहर बचाओ समिति के संरक्षक भारत शर्मा और उपाध्यक्ष मनीष शर्मा, दीनदयाल वाहिनी जयपुर के सदस्य विष्णु जायसवाल ने आरोप लगाया कि महापौर अशोक लाहोटी, उप महापौर मनोज भारद्वाज, नगर निगम आयुक्त व दूसरे आला अफसरों के साथ विधायक मोहन लाल गुप्ता को भी कटले को बचाने और वाणिज्यिक गतिविधियों के साथ नए निर्माण पर रोक लगाने के लिए लिखित शिकायतें दे रहे हैं, लेकिन कोई भी इन्हें रोकने का प्रयास नहीं कर रहा है। इन्होंने आरोप लगाया कि श्री सियाराम ट्रस्ट ने यह कहते हुए कोर्ट से डीम्ड अनुमति ली है कि डिग्गी कटला जर्जर अवस्था में है। इसकी मरम्मत और रिनोवेशन करना आवश्यक है। कोर्ट ने डीम्ड अनुमति दे दी, लेकिन ट्रस्ट मरम्मत व रिनोवेशन के बजाय दुकानों की छतों पर ना केवल नया निर्माण चला रखा है, बल्कि मानचित्रों के विपरीत व्यावसायिक निर्माण किया जा रहा है। यहीं नहीं सरकारी गंदी नाली को भी शामिल करते हुए निर्माण किया जा रहा है। 1.05 मीटर की बालकनी के स्थान पर 1.68 मीटर बालकनी का निर्माण करवाया जा रहा है, जो विधि विरुद्ध और अवैध है। इन्होंने आरोप लगाया कि कोर्ट के डीम्ड आदेश की आड़ में यह अवैध व्यावसायिक निर्माण किया जा रहा है। इसमें नगर निगम प्रशासन की मिलीभगत भी है। इन्होंने नगर निगम प्रशासन को चेताया है कि अगर निर्माण को ध्वस्त करने की कार्रवाई नहीं की गई तो आंदोलन शुरु किया जाएगा और इस मामले को हाईकोर्ट में ले जाकर अवैध निर्माण को चुनौती देंगे, बल्कि डिग्गी कटले की दुकानों को बंद करवाकर फिर से आवासीय श्रेणी में करवाने की गुहार की जाएगी।
– सिटी सर्वे में कोठरियां
वर्ष १९४८ के सिटी सर्वे में कल्याण धणी मंदिर और मंदिर के चारों तरफ की भूमि पर कोठरियां (कमरे) दर्शा हुई है। सिटी सर्वे के अनुसार पुरोहितजी के कटले के भीतर स्थित डिग्गी वालों के कटले में खसरा नम्बर ११०६-११०७ शीट नम्बर २९ चौकड़ी विश्वैश्वरजी में इन कोठरियां का होना माना गया। कमरे इसलिए थे कि डिग्गीधाम के पदयात्री यहां आकर ठहर सके। हर वर्ष पौषबड़ा व अन्नकूट महोत्सव के दौरान इस स्थान पर भंडारा प्रसादी का आयोजन होता था। लेकिन बाद में नगर निगम प्रशासन और ट्रस्ट पदाधिकारियों की मिलीभगत से इन कोठरियों को दुकानों में तब्दील कर दिया और मोटे दामों पर बेचान कर दिया। अब इसी तर्ज पर इन दुकानों के ऊपर नया निर्माण करवाया जा रहा है, जिन्हें भी दुकानों में तब्दील कर दिया जाएगा।
– डीम्ड आदेश की अवहेलना
सामाजिक कार्यकर्ताओं और संगठनों की शिकायतों के बाद चेते जयपुर नगर निगम और हवामहल जोन उपायुक्त ने मौका निरीक्षण करके यहां कोर्ट के डीम्ड आदेश और मानचित्रों के विपरीत निर्माण होने की बात मनाते हुए ट्रस्ट सचिव कल्याण सहाय शर्मा को नोटिस भी दिया था। नोटिस में कहा है कि तीन कमरों में नक्शे के विपरीत सरकारी गंदी नाली को शामिल करते हुए निर्माण कर लिया है। निगम प्रशासन इन्हें नोटिस तो थमा रहा है, लेकिन निर्माण को रोक नहीं रहा है। एडवोकेट अजय पारीक, बसंत फागीवाला व अन्य का आरोप है कि सैशन कोर्ट व हाईकोर्ट के शीतकालीन अवकाश का फायदा उठाते हुए डिग्गी कटले में दिनरात अवैध तरीके से निर्माण हो रहा है। निगम प्रशासन भी मात्र नोटिस दे रहा है। जब नोटिस में मान रहा है कि मानचित्रों के विपरीत निर्माण हो रहा है तो रोक क्यों नहीं रहा है।
पूर्व में हुई कार्यवाही
ऐसा नहीं कि डिग्गीधाम यात्रियों का आश्रय स्थल छिनने की कारगुजारी पहले नहीं हुई। वर्ष २०१० में भी यहां दुकानों का निर्माण करने की जुगत लगाई। उस दरम्यान लोगों की शिकायतों और आंदोलन के चलते निगम प्रशासन ने अवैध निर्माण को रोका था, लेकिन फिर से संगठित होकर नया निर्माण खड़ा किया जा रहा है।
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