bhaajapa ne karmachaariyon par julm kiya, ham karegen samasyaon ka samaadhaan: khaachariyaavaas

सीबीआई जांच स्वीकार करके सरकार ने माना आनन्दपाल एनकाउंटर और सांवराद में पुलिस ने गलत चलाई गोलियां

जयपुर. राजस्थान प्रदेष कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता एवं जयपुर जिलाध्यक्ष प्रतापसिंह खाचरियावास ने कहा कि प्रदेष में जन-संघर्ष और ऐतिहासिक जन-विरोध के सामने आखिर राजस्थान की सरकार ने प्रदेष में बहुत बडी जन हानि के बाद आनन्दपाल एनकाउंटर प्रकरण और मालासर के सुरेन्द्र सिंह की पुलिस द्वारा की गई हत्या की सीबीआई जांच के लिये घुटने टेक दिये। यदि सरकार संवेदनषील, गंभीर और दूरदर्षी होती तो आज पिछले 25 दिन से प्रदेष में जो टकराव और विरोध का माहौल बना हुआ है, वो नहीं बनता।

सैकडों लोग आज भी अस्पतालों में भर्ती हैं, लगभग 700 से ज्यादा युवा बेवजह जेलों में बंद पड़े हैं। 12 जुलाई को सांवराद में पुलिस और श्रृद्धांजलि सभा कर रहे लोगों में भारी टकराव हुआ, आज भी महेन्द्र सिंह और लादूसिंह गोली लगने के कारण एसएमएस अस्पताल में अपना ईलाज करा रहे हैं। ऐसे में अब अमित षाह के दौरे के दौरान होने वाले विरोध से घबराकर सरकार ने आनन्दपाल एनकाउंटर की जांच सीबीआई से कराने की अनुषंषा करने का जो निर्णय लिया है वो बहुत देरी से उठाया गया कदम है। जनता सरकार से मांग करती है कि आनन्दपाल एनकाउंटर प्रकरण में राज्य सरकार ईमानदारी से सीबीआई जांच के लिये केन्द्र पर दबाव बनाये क्योंकि पहले भी राज्य सरकार ने जैसलमेर के चतुर सिंह हत्याकाण्ड में सीबीआई को जांच की अनुषंषा की थी, लेकिन सीबीआई ने जांच करने से मना कर दिया था। खाचरियावास ने कहा कि राज्य सरकार को समझौते के अनुसार तुरन्त प्रभाव से डीडवाना, नागौर, लाडनूं, जसवंतगढ़ सहित प्रदेष के सभी जेलों में गिरफ्तार किये गये उन सभी युवाओं को तुरन्त प्रभाव से रिहा करना चाहिये जो सरकार के जुल्म के खिलाफ आनन्दपाल एनकाउंटर की सीबीआई जांच कराने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे। इस वक्त सैकडों नौजवान जेलों में बंद पड़े हैं।

पुलिस सांवराद, नागौर, झुन्झुनू, सीकर, बीकानेर में लोगों को परेषान कर रही है। बेवजह लोगों पर झूठे मुकदमें बना दिये गये हैं, इस वक्त सांवराद में बेवजह बहुत बडी तादाद में पुलिस लगाई हुई है, उसे भी तुरन्त हटा लिया जाना चाहिये। खाचरियावास ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने लिखित में समझौता किया है। यह वही गृहमंत्री हैं जो लगातार पुलिस की कार्यवाही को बेवजह सही बता रहे थे, आखिर गृहमंत्री कटारिया को जन संघर्ष और जन विरोध के सामने यह स्वीकार करना पड़ा कि आनन्दपाल एनकाउंटर प्रकरण और सांवराद में पुलिस के द्वारा किया गया बल प्रयोग सही नहीं था। इसलिये सरकार को जन संघर्ष के आगे घुटने टेकने पडे और यह स्वीकार करना पड़ा कि सरकार और पुलिस का व्यवहार ठीक नहीं था।

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