वडोदरा. समुद्री रास्ते से गुजरात में ड्रग्स की सप्लाई के मामले आए दिन सामने आते रहते हैं, लेकिन अब राज्य में दो अलग-अलग जगहों से 713 किलो एमडी ड्रग बरामद की गई है। बरामद ड्रग की कीमत 2000 करोड़ रुपए आंकी गई है। गुजरात एटीएस ने वडोदरा से, जबकि मुंबई पुलिस की एंटी नारकोटिक्स सेल ने भरूच के अंकलेश्वर से ड्रग्स के भारी जखीरे की बरामदगी की है। वडोदरा में जिस फैक्ट्री से प्रतिबंधित एमडी ड्रग्स पकड़ी गई है, वहीं इसे अवैध रूप से बनाया जा रहा था। एटीएस ने मोक्षी गांव में इस फैक्ट्री से बरामद 200 किलो ड्रग्स की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 1000 करोड़ रुपए के करीब बताई है। एटीएस के डीआईजी दीपेन भद्रन ने बताया कि जब्त की गई ड्रग्स करीब 6 महीने पहले तैयार की गई थी। इस बात की पूरी संभावना है कि एक बार में ही काफी मात्रा में ड्रग्स तैयार की गई हो, जिसे देश के अलग-अलग हिस्सों में सप्लाई कर दिया गया हो। इधर मुंबई पुलिस की एंटी नारकोटिक्स सेल ने गुजरात के ही भरूच जिले में अंकलेश्वर से 513 किलो एमडी ड्रग बरामद की है। नारकोटिक्स सेल की वर्ली ब्रांच ने इस मामले में एक महिला समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने बरामद की गई ड्रग की कीमत 1 हजार 26 करोड़ बताई है। पुलिस के मुताबिक, पकड़े गए सभी लोग एक गिरोह का हिस्सा हैं। इनसे पूछताछ कर ड्रग की सप्लाई चेन के बारे में पता लगाने की कोशिश की जा रही है।
वडोदरा में केमिकल की आड़ में बन रही थी ड्रग
गुजरात एटीएस के डीआईजी दीपेन भद्रन ने बताया- गुप्त सूचना मिली थी कि वडोदरा की सावली तहसील के पास ड्रग्स का बड़ा जत्था है। एटीएस ने सोमवार को मोक्षी गांव की इस फैक्ट्री में छापा मारा। वहां ड्रग्स का जखीरा तो मिला ही, यह भी पता चला कि केमिकल बनाने की आड़ में एमडी ड्रग तैयार की जा रही थी। इस मामले में कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है। जांच के बाद ही पूरी जानकारी सामने आ पाएगी।
दीपेन भद्रन ने बताया कि शुरुआती जांच में पता चला है कि ड्रग्स की सप्लाई गोवा और मुंबई की जा रही थी। एटीएस को शक है कि यहां से देश के दूसरे हिस्सों में भी ड्रग्स भेजी गई है। इस रैकेट में शामिल लोगों के बारे में भी पता लगाया जा रहा है।
मिथाइलीनन डाइऑक्सी मेथैमफेटामाइन और मेफेड्रोन को कई नामों से बेचा जाता है। लगभग हर देश में इसके कोड नेम हैं। इस ड्रग्स को सूंघकर और पानी में मिलाकर भी लिया जाता है। नशे के बाजार में इस तरह की एक ग्राम ड्रग की कीमत एक हजार से 25000 रुपए तक है। नशा करने वालों के बीच इसके और भी कोड नेम हैं। इसे लेने के बाद दिमाग में नशा चढ़ता है। मदहोशी आती है। ज्यादा मात्रा में एक साथ लेने पर यह जान के लिए खतरा तक बन सकती है। मेफेड्रोन को आमतौर पर ‘म्याऊं-म्याऊं’ के नाम से जाना जाता है। रेव पार्टियों में नशे के लिए इसका इस्तेमाल होता है। म्याऊं-म्याऊं का नाइजीरिया और अफगानिस्तान में सबसे ज्यादा उत्पादन होता है। पार्टी ड्रग्स के तौर पर इसका भारत में भी इस्तेमाल होने के मामले सामने आ चुके हैं। रेव पार्टी में पहले एलएसडी यानी लिसर्जिक एसिड डायइथाइलअमाइड का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन ड्रग्स के लिए कड़े कानून बनने के बाद एमडीएमए और मेफेड्रोन का नशा ज्यादा प्रचलित है।

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