– राकेश कुमार शर्मा
जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के उन नेताओं में गिने जाते हैं जिनके रिश्ते मीडिया से बहुत अच्छे रहे हैं। इसके बावजूद आजकल गहलोत अक्सर मीडिया को निशाना बनाते सुने जा सकते हैं। वे फील्ड में काम कर रहे पत्रकारों के लिए तो कह देते हैं कि आप तो लिखना चाहते हो, लेकिन आपके सम्पादक, मालिक आपको लिखने नहीं देते। मीडिया हाउसेज के लिए भी वे आजकल बकायदा खुल कर और नाम लेकर टिप्पणी करते हैं जो पहले नहीं देखा गया है।
अशोक गहलोत कांग्रेस के उन नेताओं में गिने जाते रहे हैं जो मीडिया के लिए सहज उपलब्ध हैं। जब वे सत्ता से बाहर होते हैं तो बडी आसानी से मीडियाकर्मी उनसे मिल सकते हैं, बल्कि वे खुद आगे होकर मीडियाकर्मियों को बुला कर फीडबैक लेते है। जब सत्ता में होते हैं तो यह सिलसिला कुछ कम जरूर हो जाता है, लेकिन किसी ना किसी रूप में बना रहता है। मीडिया को बाइट देने में भी उन्हें आमतौर पर कोई हिचक नहीं होती और मीडिया के लिए संवेदनशील फैसले लेने मेें भी वे हमेशा आगे रहते हैं। राजस्थान के पत्रकारों के लिए आवास योजना हो या पत्रकार कल्याण कोष या पत्रकारों की पेंशन, ऐसे कई फैसले हैं जो उन्होंने बिना किसी मांग के लिए हैं। हाल में प्रेस क्लब में उन्होंने कहा भी कि मीडिया से मेरा हमेशा एक पवित्र और सहज रिश्ता रहा है।
इस सब के बावजूद एक बडा परिवर्तन जो इन दिनों में दिखा है, वह मीडिया पर सार्वजनिक टिप्पणी। यह पहले कभी नहीं देखी गई थी, लेकिन जब से केन्द्र में मोदी सरकार आई है, गहलोत इस बात को खुल कर कहते हैं कि मीडिया संस्थान केन्द्र सरकार के दबाव में काम करते हैं। हालांकि यह उनकी तरह से उनकी पार्टी की ही लाइन है, क्योंकि उनके केन्द्रीय नेता भी अक्सर इस तरह के बयान देते हैं कि मीडिया कांग्रेस की बातों और उसके उठाए मुद्दों को तरजीह नहंी देता, लेकिन यह देखा गया है कि पिछले कुछ समय से वे पार्टी लाइन से भी आगे बढ कर खुल कर मीडिया की आलोचना करते हैं। पिछले दिनों जयपुर के समाचार पत्र राष्ट्रदूत में उनकी राहुल गांधी से मुलाकात के बारे में छपी खबरों पर उन्होंने बुहुत तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी और एक मीडिया बाइट में राष्ट्रदूत की इस रिपोर्टिग को जम कर आडे हाथ लिया था। वहीं हाल में प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को लेकर दैनिक भास्कर में छपी खबर पर टिप्पणी की और यहां तक कहा कि भास्कर तो हमारे पीछे पडा है, क्योंकि उस पर केन््रद सरकार ने छापे मारे थे। इससे पहले भास्कर में कोविड वैक्सीन को लेकर छपी खबरों के बारे में भी सरकार की ओर से तीखी प्रतिक्रिया सामने आ चुकी है। एक मीडिया चैनल फर्स्ट इंडिया के सीईओ पर भी बेबाकी से टिपण्णी की, जिसकी चर्चा रही.
उनकी या उनकी सरकार की आलोचना वाली खबरों पर उनकी तीखी प्रतिक्रियाएं आना लोगों को अजीब लग रहा है, क्योंकि गहलोत की तरफ से मीडिया के प्रति ऐसी “असहिष्णुता“ सार्वजनिक तौर पर कभी नहीं देखी गई। उनके नजदीकी लोगों का कहना है कि गहलोत उन नेताओं में शामिल हैं जो मीडिया में जो कुछ भी चल रहा है, उस पर पैनी निगाह रखते हैं और अखबारों में छपी खबरों को बहत गम्भीरता से लेते हैं। यही कारण है कि इनके जरिए जाने वाले संदेश की अहमियत भी पहचानते हैं। जानकारों का मानना है कि इस स्थिति के पीछे एक बड़ा कारण सम्भवत यह भी है कि राजनीतिक तौर पर उनका यह कार्यकाल काफी चुनौतीपूर्ण रहा है। ऐसी चुनौती उन्हें पहले कभी नहीं मिली। यही कारण है कि पार्टी के भीतर, आलाकमान की तरफ से और विपक्ष की तरफ से मिल रही चुनौती के बीच मीडिया में उनके प्रति बन रही धारणा को लेकर वे शायद कुछ ज्यादा ही संवेदनशील हो गए हैं।
एक मुख्यमंत्री के रूप में यह उनका तीसरा कार्यकाल है और आगे क्या होगा यह भविष्य के गर्भ में है, ऐसे में शायद वे ऐसा कुछ नहीं चाहते जो अब तक की उनकी छवि को जरा भी मलिन करे और शायद सरकार या उनकी आलोचना वाली खबरों के प्रति उनकी इन तीखी प्रतिक्रियाओं का यही एक कारण हो।
Rakesh Kumar Sharma, Editor-in-Chief Janprahari Express.
X City Chief Rajasthan Patrika Jaipur.
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