जयपुर, 17 फरवरी। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने सोमवार को विधान सभा में कहा कि आगामी दो महीनों में उदयपुर, जोधपुर और बीकानेर में औषधीय नियंत्रण प्रयोगशालाएं खोली जाएंगी।

डॉ. शर्मा ने प्रश्नकाल के दौरान विधायकों की ओर से इस संबंध में पूछे गये पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए बताया कि वर्ष 2012-13 में तत्कालीन सरकार ने तीनों प्रयोगशालाओं को बनाने की घोषणा की थी। पिछली सरकार ने वर्ष 2018 के बजट में 14 करोड़ रुपए की केवल घोषणा मात्र की थी। इसके बाद सरकार बदल गई। वर्तमान सरकार ने 26 मार्च 2019 को वित्तीय स्वीकृति जारी की है। उन्होंने बताया कि प्रयोगशालाओं में उपकरणों की सबसे महत्वपूर्ण जरूरत होती है। इसमें 62 प्रकार के उपकरण खरीदे जाने हैं। उसमें से 15 अत्याधुनिक उपकरण राज्य सरकार ने खरीद लिए हैं, इन पर 11 करोड़ की राशि खर्च की जा चुकी है।

उन्होंने बताया कि प्रदेश में पिछले दो वषोर्ं में 8379 नमूने लिए गए, जिनमें से 161 नमूने तय मानकों से भिन्न यानी अमानक पाए गए। इनमें से 13 प्रकरणों में एफआईआर दर्ज करवाई गई। ये मिसब्रांड, नकली और मिलावट के प्रकरण थे। उन्होंने बताया कि 14 प्रकरणों में संबंधित औषधीय निर्माता के लाइसेंस या प्रोडक्ट को निलंबित किया गया है। शेष प्रकरणों पर कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। इनमें से 34 प्रकरणों में निर्माता या फर्म राजस्थान की हैं और 127 प्रकरणों में राजस्थान के बाहर की फर्म हैंं। जिन 13 प्रकरणों में एफआईआर हुई है उनमें से 12 राजस्थान के हैं। उन्होंने बताया कि लाइसेंस, प्रोडक्ट परमिशन निलंबन का प्रकरण यदि राजस्थान का हो तो संबंधित राज्य औषधि नियंत्रक द्वारा कार्यवाही की जाती है और प्रकरण राज्य से बाहर का हो तो निर्माता से लिंक करना होता है एवं कार्यवाही के लिए संबंधित औषधीय नियंत्रक को लिखा जाता है।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कोई भी दवा बाजार में आती है तो लाइसेंस दवा निर्माता को तब दिया जाता है, जब उसके पास परीक्षण की पूरी व्यवस्था हो। यदि उसके पास परीक्षण की सुविधा नहीं है तो व भारत सरकार की अधिकृत प्रयोगशालाओं से जांच करवाएगा उसके बाद ही दवा बाजार में आ सकती है। उन्होंने बताया कि हमें शिकायत मिलते ही विभाग द्वारा सैंपलिंग की जाती है। यह विभाग की सतत प्रक्रिया है। यह भारत सरकार द्वारा औषधीय एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 एवं नियमावली 1945 बनाई गई। उन्होंने कहा कि आवश्यकता के अनुसार राज्य सरकार केंद्र सरकार को नियमों में परिवर्तन के लिए लिखेगा।

इससे पहले चिकित्सा मंत्री ने विधायक श्रीमती अनिता भदेल के मूल प्रश्न के जवाब में बताया कि प्रदेश में वर्तमान में एक औषधि परीक्षण प्रयोगशाला, जयपुर में संचालित है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में उक्त औषधि परीक्षण प्रयोगशाला, जयपुर में 7461 सैंपल जांच के लिए लम्बित हैं। उन्होंने बताया कि औषधियों के निर्माण के लिए लाइसेंस संबंधित निर्माता को उस राज्य के औषधि नियंत्रक या औषधि महानियंत्रक भारत सरकार द्वारा औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 एवं नियमावली 1945 के प्रावधानों के तहत् औषधि निर्माता के पास औषधि के निर्माण एवं उसके विश्लेषण या जांच की सुविधाओं की उपलब्धता के बाद ही जारी किए जाते हैं।

डॉ. शर्मा ने बताया कि बाजार में औषधियां उपलब्ध होने से पूर्व उनकी गुणवत्ता की जांच औषधि के निर्माता द्वारा स्वयं की प्रयोगशाला में करवाई जाती है एवं जिन औषधियों की जांच की सुविधा औषधि निर्माता के यहां उपलब्ध नहीं होती उनकी जांच औषधि निर्माता द्वारा, औषधि नियंत्रक या औषधि महानियंत्रक भारत सरकार द्वारा अनुमोदित बाहर की प्रयोगशालाओं से औषधि के बाजार में रिलीज करने से पूर्व करवाई जाती है एवं उक्त जांच में औषधि के मानक कोटि की होने पर ही नियमानुसार इन औषधियों का विक्रय बाजार में किया जाता है।

चिकित्सा मंत्री ने बताया कि औषधि नियंत्रण संगठन द्वारा, शिकायत, संदेह एवं औचक जांच के दौरान औषधियों के लिए गए नमूनों की जांच या विश्लेषण की प्रक्रिया औषधि परीक्षण प्रयोगशाला द्वारा अवधिपार तिथि से पूर्व ही सम्पादित की जाती है। उन्होंने बताया कि औषधि के अवमानक कोटि की घोषित होने पर अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार संबंधित औषधि के बैच की बिक्री पर तुरन्त प्रभाव से रोक लगाई जाकर अधिनियम के प्रावधानों के तहत आगामी कार्यवाही की जाती है।

उन्होंने बताया कि जोधपुर, बीकानेर एवं उदयपुर में निर्मित औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं को शीघ्र ही क्रियाशील करवाकर प्रदेश में औषधियों के सैम्पलों की जांच निर्धारित समय सीमा में करवाए जाने के प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने प्रदेश में पिछले दो वर्षो में औषधियों के कुल 8379 नमूने जांच या विश्लेषण के लिए उनका भी जिलेवार विवरण सदन की पटल पर रखा। उन्होंने बताया कि प्रदेश में पिछले दो वर्षो में औषधियों के लिए गये नमूनों में से 161 नमूने तय मानकों से भिन्न पाए गए। उन्होंने इनका जिलेवार विवरण भी सदन के पटल पर रखा। उन्होंने बताया कि प्रदेश में पिछले दो वर्षों में नकली या मिलावटी दवाओं के निर्माण, बिक्री व वितरण के कुल 76 प्रकरण दर्ज हुए हैं। उन्होंने इनका विवरण सदन के पटल पर रखा।

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