– कांग्रेस विधायकों की उदयपुर में बाड़ेबंदी, 35 विधायक नहीं पहुंचे
– हुड़ला बीमार, बिधूड़ी संपर्क में नहीं
उदयपुर. राज्यसभा चुनाव से पहले विधायकों की खरीद फरोख्त की आशंका को देखते हुए कांग्रेस और समर्थित विधायकों की बाड़ेबंदी उदयपुर में की है। कांग्रेस के लिए चिंता अभी कम नहीं हुई है। अरावली की वादियों में ताज अरावली होटल में कांग्रेस के विधायकों को रुकवाया गया है, लेकिन अभी 125 में से सिर्फ 90 विधायक ही पहुंचे हैं। यहां विधायक 9 जून तक रहेंगे। इसके बाद उन्हें सीधे जयपुर ले जाकर 10 जून को वोट डलवाया जाएगा। राजस्थान में चार सीटों पर राज्यसभा चुनाव होने हैं। इनमें से दो सीटों पर कांग्रेस की और एक पर भाजपा की जीत तय है। चौथी सीट पर भाजपा समर्थित उम्मीदवार डॉ. सुभाष चंद्रा का मुकाबला कांग्रेस के प्रमोद तिवारी से होगा। इसी सीट के लिए कांग्रेस विधायकों की बाड़ेबंदी कर रही है।
फिलहाल, 125 में से 90 विधायक ही पहुंचे हैं। निर्दलीय विधायक ओम प्रकाश हुड़ला बीमार हो गए हैं। रमिला खड़िया, राजेंद्र बिधूड़ी से भी कांग्रेस का संपर्क नहीं हुआ है। वहीं, शनिवार और रविवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी उदयपुर आ सकते हैं। महेश जोशी, पुखराज पाराशर, धर्मेंद्र राठौड़ और रफीक खान के जिम्मे विधायकों को गुरुवार शाम जयपुर से रवाना कर दिया गया। रास्ते में भीलवाड़ा के राजस्व मंत्री रामलाल जाट के घर विधायकों ने रात का डिनर किया। देर रात 2:30 बजे 65 विधायक बस से होटज ताज अरावली पहुंचे। बसपा से कांग्रेस में आए मंत्री राजेंद्र गुढ़ा सहित 5 विधायक सरिस्का घूम रहे थे। बलजीत यादव, वाजिब अली और संदीप यादव भी उदयपुर नहीं आए हैं। मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने नाराजगी भरा बयान देकर कांग्रेस की मुश्किलें और बढा दी हैं। ताज में एक सप्ताह के स्टे के दौरान होटल में बिना अनुमति किसी की भी एंट्री नहीं होगी। सभी विधायकों के फोन भी बंद रहेंगे। परिवार से बात करने के लिए भी निश्चित समय होगा, हालांकि विधायकों के मनोरंजन के लिए होटल में कई एक्टिविटी रखी गई है।
– तीसरी सीट के लिए पूरा खेल
बाड़ेबंदी का यह खेल राज्यसभा की उस तीसरी सीट के लिए है, जो कांग्रेस अपने कब्जे में करना चाहती है। 4 राज्यसभा सीटों में से 2 पर कांग्रेस उम्मीदवार मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला और 1 पर बीजेपी उम्मीदवार घनश्याम तिवाड़ी की जीत तय है। मगर चौथी सीट के लिए पेच फंसा है। इस सीट पर बीजेपी के समर्थन से बिजनेसमैन सुभाष चंद्रा ने नामांकन भरा है। इस सीट के लिए चंद्रा के पास बीजेपी के 31 विधायकों का समर्थन है। इसी सीट पर कब्जे के लिए बाड़ेबंदी की गई है।
– गहलोत साहब बोलते ज्यादा हैं:राजेंद्र गुढ़ा
राजस्थान में राज्यसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को अपना कुनबा संभालने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ निर्दलीय विधायकों के बाद अब सरकार में राज्यमंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रति नाराजगी जताकर तेवर दिखाए हैं। सैनिक कल्याण मंत्री गुढ़ा ने लंबित मुद्दों और साथी विधायकों को सम्मान नहीं मिलने का मुद्दा उठाया है। उन्होंने कमिटमेंट पूरा नहीं करने पर प्रभारी अजय माकन को भी निशाने पर लिया है। सीएम के बसपा के सहयोग से सरकार बचाने वाले बयान पर गुढ़ा ने कहा ‘गहलोत साहब बोलते बहुत ज्यादा हैं। हमारे साथ बैठकर चिंता करते तो ज्यादा ठीक होता।’ दरअसल, गुढ़ा भी बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों में शामिल हैं।
उन्होंने कहा यह बात बिल्कुल ठीक है। हमारे साथी छूट गए थे, इस मामले में प्रॉब्लम है। यह भी सही है कि हमारे साथियों को जो सम्मान मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला। उसका कारण जो भी हो। पता नहीं क्या मजबूरी रही होगी।
मंत्री ने प्रदेश प्रभारी माकन पर निशाना साधते हुए कहा कुल मिलाकर राजनीति में कमिटमेंट जो हो वह पूरा होना चाहिए। अजय माकन जो हमारे प्रभारी हैं। उन्होंने मुझसे जो कमिटमेंट किया था, वह पूरा नहीं किया।
बाड़ेबंदी में जाने के सवाल पर गुढ़ा ने कहा कि उदयपुर अच्छा शहर है। राजस्थान घूमने के लिए अच्छी जगह है, लेकिन बंद होने के लिए अच्छी जगह नहीं है। आपको जानकारी होगी कि पिछले टाइम जब बाड़ेबंदी की बात हुई, मैं तो तनोट भी जा रहा था। कांग्रेस या गहलोत के साथ होने के सवाल पर गुढ़ा ने कहा कि यह सोचकर बताऊंगा। मुकदमे तो हम सुप्रीम कोर्ट में लड़ रहे हैं, हाईकोर्ट में लड़ रहे हैं।
– मुख्यमंत्री को अवैध खनन और पीडब्यूडी की शिकायतें भेजीं, पता नहीं कहां गईं
बसपा से कांग्रेस में आने वाले विधायकों ने राज्यसभा चुनावों से पहले अपने लंबित मुद्दों को लेकर खुलकर नाराजगी जतानी शुरू कर दी हैं। बसपा से कांग्रेस में आए विधायक वाजिब अली ने भी ब्यूरोक्रेसी के रुख और मुख्यमंत्री को शिकायतें भेजने के बावजूद उन पर कार्रवाई नहीं होने पर सवाल उठाए हैं। वाजिब अली ने गहलोत पर भी तंज कसा है। वाजिब अली ने जयपुर में मीडिया से बातचीत में कहा मेरी स्पेसिफिक कोई बात नहीं थी, लेकिन अफसरशाही में कमजोरी की वजह से जो जन कल्याणकारी योजनाएं हैं। जो सरकार करना चाहती है। वह सही तरीके से नहीं हो पा रही है। हमारे यहां पीडब्ल्यूडी के कामों में काफी शिकायतें थीं। अवैध खनन की शिकायत थी। मैंने खुद ने मुख्यमंत्री को लिखा लेकिन पता नहीं वह चीजें कहां चली जाती है। राजनीति में कभी लंबा अरसा नहीं होता। किसी बात की 30 नहीं होती लंबा जीवन पड़ा है। हमें जनता ने अपना ट्रस्टी बनाकर विधानसभा भेजा है उनकी बात रखें जो कर्तव्य हमारा है उसे हम अच्छी तरह से निभा रहे हैं।
बाड़ेबंदी में नहीं जाने के सवाल पर वाजिब अली ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो बाड़ेबंदी में चले जांएगे। 10 तारीख को वोटिंग होनी है,वोट तो डालना है, कहीं भी दे देंगे। वाजिब अली को बसपा से कांग्रेस में आने के बावजूद न मंत्री बनाया न राजनीतिक नियुक्ति दी। उनकी नाराजगी की सबसे बड़ी वजह यही है। भरतपुर की स्थानीय राजनीति में मंत्री जाहिदा खान से उनकी नहीं बनती। वाजिब अली ने पीडब्लयूडी मंत्री भजनलाल जाटव के खिलाफ पहले ठेकेदारों का पक्ष लेने और घटिया क्वालिटी की सड़के बनाने वालों को बचाने के आरोप लगाए थे। अब राज्यसभा चुनावों से पहले वाजिब अली ने फिर नाराजगी जताई है।