जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत ने कहा है कि उज्ज्वला योजना के तहत अब तक जारी किये गये 3.59 करोड़ एल.पी.जी. कनेक्शनों में से 70 प्रतिशत कनेक्शन आज निष्क्रिय पडे़ हैं। योजना के अन्तर्गत जिन बीपीएल उपभोक्ताओं को पूर्व में कनेक्शन जारी किये गये उनकी आर्थिक स्थिति इतनी दयनीय है कि वो महंगी दरों के एल.पी.जी. सिलेण्डर्स को रीफिल नहीं करवा पा रहे हैं। इस व्यावहारिक पहलू की अनदेखी कर मोदी सरकार कल 20 अप्रेल को 15 हजार पंचायतों में 100-100 नये कनेक्शन जारी करने का ढोल पीट रही है। यह सब आगामी चुनावों में लाभ के उद्देश्य से किया जा रहा है।
गहलोत ने कहा कि इस योजना का बजट 8 हजार करोड़ रुपये था जिसे बढ़ाकर 12,800 करोड़ किया गया है। योजना के तहत गैस चूल्हा और सिलेण्डर के लिए ऑयल मैन्यूफैक्चरिंग कम्पनियों के माध्यम 5750 करोड़ रुपये कर्ज के रूप में उपभोक्ताओं के नाम किये गये थे, जिसकी वसूली गैस सिलेण्डर पर सब्सिडी के रूप में दी जाने वाली राशि से की जानी थी। लेकिन कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण उपभोक्ता जब सिलेण्डर रीफिल ही नहीं करवा पाया तो कर्ज राशि भी अटक गयी। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ऑयल मेन्यूफैक्चरिंग कम्पनियों ने अब ऋण राशि की वसूली को 6 और सिलेण्डर्स का उपभोग किये जाने तक बढ़ाने का फैसला किया है।
यह फैसला एक अप्रेल से प्रभावी भी कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि जब उपभोक्ता अपने सिलेण्डर रीफिल नहीं करवा पाये तो अब इस नये फैसले से लाभ होने की उम्मीद कैसे की जा सकती है। गहलोत ने कहा कि अगले माह कर्नाटक और तत्पश्चात् साल के अंत में राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ में होने जा रहे चुनावों में अपनी जमीन खिसकती देख उपभोक्ताओं को लुभाने के लिये मोदी सरकार इस योजना के व्यवहारिक पक्ष की अनदेखी करते हुए थोथा ढ़ोल पीट रही है। उदाहरण के बतौर राजस्थान को ही लें तो यहां बीपीएल एलपीजी कनेक्शन के लिये महिलाओं की संख्या लगभग 60 लाख है, जिसमें से इस योजना के तहत आधे कनेक्शन अभी तक जारी नहीं हो पाये हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने इस योजना के प्रति गंभीरता नहीं दिखाई क्योंकि उसकी नीयत साफ नहीं थी। अन्यथा बीपीएल परिवारों को लाभ पहुंचाने के लिए इसके व्यवहारिक पहलुओं को नजरअंदाज नहीं किया जाता। गैस सिलेण्डर के दाम जो वर्ष 2014 में 414 रुपये थे, वो आज अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में तेल व गैस के दामों में भारी कमी के बावजूद सब्सिडी के बाद 491.10 रूपये पहुंच गये हैं। इसके परिणामस्वरूप महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है। ऐसे में बीपीएल परिवार से इतने महंगे सिलेण्डर खरीदने की अपेक्षा कैसे की जा सकती है?