नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की पैरवी करते हुए आज कहा कि ऐसा करने से धन और समय दोनों की बचत होगी। इसके साथ ही मोदी ने देश में जाति आधारित राजनीति पर निशाना साधा और कहा कि उनका मूलमंत्र विकास है। समाचार चैनल ‘जी न्यूज’ को दिए साक्षात्कार में मोदी ने कहा कि चुनाव भी त्यौहारों की तरह होने चाहिए, जैसे कि होली में आप रंग फेंकते और कीचड़ भी फेंकते हैं और फिर अगली बार तक के लिए भूल जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ लॉजिस्टिक के नजरिए से देखें तो ऐसा लगता है कि देश हमेशा चुनावी मूड में हैं।’’ उन्होंने कहा कि चुनावों की तिथियां भी तय होनी चाहिए, ताकि नेता और नौकरशाह पूरे साल चुनाव कराने और चुनाव प्रचार की प्रक्रिया में शामिल नहीं रहे।
मोदी ने लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनावों के मतदाता सूची एक होने की भी पैरवी की। यह पूछे जाने पर कि क्या एक साथ चुनाव का उनका लक्ष्य पूरा हो सकेगा तो मोदी ने कहा, ‘‘यह किसी एक पार्टी या किसी नेता का एजेंडा नहीं है। देश के फायदे के लिए सभी को मिलकर काम करना चाहिए।’’ देश में जाति आधारित राजनीति के बारे में मोदी ने कहा कि यह भारत का दुर्भाग्य है कि जाति आधारित राजनीति का इतिहास रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि दुनिया भारत की नीतियों और आर्थिक प्रगति की क्षमता के बारे में सीधे सरकार के मुखिया के मुख से सुनना चाहती है। मोदी ने कहा कि वह दावोस में 125 करोड़ भारतीयों की सफलता की कहानी बयां करने पर गौरवान्वित महसूस करेंगे। विश्व आर्थिक मंच :डब्ल्यूईएफ: के स्विट्जरलैंड के दावोस में होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन में इस बार प्रधानमंत्री भी भाग लेने जा रहे हैं। अपनी इस यात्रा से कुछ दिन पहले मोदी ने समाचार चैनल ‘जी न्यूज’ से साक्षात्कार में कहा कि भारत ने दुनिया में अपनी एक पहचान बनाई है और इसका फायदा उठाने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। दुनिया और सभी रेटिंग एजेंसियों ने भी इसे माना है। मोदी ने कहा कि दावोस भारतीय बाजार के बारे में बताने का एक अच्छा अवसर प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि भारत के पास अपनी युवा आबादी का लाभ है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश :एफडीआई: में जोरदार उछाल देखा है। यह स्वाभाविक है कि दुनिया सीधे भारत से बात करना चाहती है। सीधे सरकार के मुखिया से नीतियों और क्षमताओं के बारे में जानना चाहती है। दावोस बैठक को वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं का सबसे बड़ा समागम बताते हुए मोदी ने कहा कि अभी तक वह वहां नहीं जा पाए थे। उन्होंने कहा कि इस बैठक में दुनियाभर के उद्योगपति, वित्तीय संस्थान और नीति निर्माता शामिल होंगे।
जीडीपी की वृद्धि दर नीचे आने पर आलोचनाओं को लेकर मोदी ने कहा कि यह अच्छी चीज है क्योंकि देश का ध्यान अर्थव्यवस्था और वृद्धि की ओर केंद्रित हो गया है। उन्होंने कहा कि आलोचना को बुरी चीज के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। यह लोकतंत्र की ताकत है, जहां हर चीज का विश्लेषण होता है। अच्छी चीजों की सराहना हो और खामियों की आलोचना। हालांकि, प्रधानमंत्री ने इस बात पर क्षोभ जताया कि कई बार आलोचना कम होती है आरोप अधिक लगाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि अच्छी बात यह है कि देश जीडीपी, कृषि, उद्योग और बाजारों के बारे में बात कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया सबसे बड़े लोकतंत्र के काम को पहचानती है। वह 125 करोड़ भारतीयों की शक्ति और प्रतिबद्धता को खुद से अधिक महत्व देते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा काम 125 करोड़ लोगों की आवाज बनना है और मैं इसे ईमानदारी से करने का प्रयास कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि दुनिया इस बात को स्वीकार कर रही है कि घरेलू स्तर पर भारत अच्छा कर रहा है। ‘‘सरकार सामाजिक, आर्थिक, और कामकाज के संचालन के मोर्चे पर अच्छा काम कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने विश्व के नेताओं से गले मिलने की अपनी चिर-परिचित शैली के संदर्भ में आज कहा कि उनको प्रोटोकॉल के बारे में जानकारी नहीं है क्योंकि वह एक आम इंसान हैं और यह उनकी ताकत बन गई है तथा दुनिया के नेता भी उनके खुलेपन को पसंद करते हैं। मोदी ने कहा कि विपरीत हालात को अवसर में बदलना उनका मूल स्वभाव रहा है। मोदी ने कहा, ‘‘जब मैं प्रधानमंत्री बना था तो हर कोई पूछा करता था कि आप अपनी विदेश नीति कैसे चलाएंगे। एक तरह से यह आलोचना सही थी क्योंकि मेरे पास कोई अनुभव नहीं था। अनुभव नहीं होने का मुझे लाभ मिला।’’