PM Narendra Modi
PM Narendra Modi

-बाल मुकुन्द ओझा
गुजरात विधानसभा चुनाव के नगाड़े बज़ने शुरू हो गए है। चुनावी बिसात बिछने लगी है और एक दूसरे के खिलाफ तीखे आरोप प्रत्यारोप शुरू हो गए है। सियासत के नए समीकरण बन रहे हैं और सभी सियासी दल अपने फायदे को देखकर एक दूसरे से गठबंधन कर अपनी ताकत बढ़ाने में जुटे हैं। भाजपा विरोधी दलों के एक ही जाजम पर बैठने का मंसूबा अभी तक पूरा नहीं हुआ है। सत्तारूढ़ भाजपा के मुकाबले में कांग्रेस सहित आम आदमी पार्टी ने चुनावी कमर कस ली है। विपक्ष में एका नहीं होने का सीधा लाभ भाजपा को मिलेगा इसमें कोई दो राय नहीं है। बहरहाल चुनाव जीतने के लिए तीनों पार्टियों ने अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है। यह चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के लिए अग्नि परीक्षा के सामान होगा क्योंकि यह उनका अपना राज्य है। यह राज्य 2024 के लोकसभा चुनाव की दिशा निर्धारित करेगा। चुनाव जीत गए तो बल्ले बल्ले अन्यथा भविष्य का मार्ग कंटीला होगा।
गुजरात विधानसभा चुनाव दिसंबर में होने है मगर सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस और तीसरी शक्ति के रूप में उभरने वाली आम आदमी पार्टी ने एक दूसरे पर हमले तेज कर दिए है। लगता है ये चुनाव भाजपा और कांग्रेस के साथ आप दलों के लिए जीवन मरण का हो गया है। गुजरात में भाजपा 1998 से सत्ता में है, जबकि कांग्रेस 1995 से राज्य में चुनाव नहीं जीत पायी है. पार्टी ने 2017 में 77 सीट जीती थीं, जबकि भाजपा को 99 सीट पर जीत मिली थीं। कांग्रेस 77 ने सीटों को जीतने के साथ ही बीजेपी को भले ही कड़ी चुनौती पेश की थी लेकिन वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य से भाजपा के शासन को उखाड़ नहीं सकी। पिछले 32 वर्षों में ये कांग्रेस द्वारा जीती गई सीटों की सबसे अधिक संख्या थी। इससे पहले 1985 के चुनाव में कांग्रेस ने 149 सीटें जीती थीं।
आम आदमी पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल और कांग्रेस नेताओं ने अभी से गुजरात के दौरे शुरूं कर दिए है। सोमवार को केजरीवाल ने अपने शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के साथ गुजरात का दौराकर जनता की नब्ज टटोली है। केजरीवाल मोदी के इस राज्य में फ्री बिजली पानी आदि के साथ अपने विजय का सपना देख रहे है। कई सीटों पर उम्मीदवार भी कर दिए है। इसीबीच पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह बाघेला ने अपनी नई पार्टी का गठन कर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। बाघेला ने पिछले चुनावों के दौरान भी एक पार्टी का गठन कर चुनाव लड़ा था मगर चुनाव में बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था। इस चुनाव में पाटीदार राजनीति अपना अलग गुल खिला रही है। सियासी दावं पेचों केबीच दल बदल का खेल भी शुरू हो गया है। युवा पाटीदार नेता हार्दिक पटेल भाजपा का दामन थाम चुके है। अहमद पटेल के निधन के बाद कांग्रेस का कोई दमदार नेता गुजरात में नहीं बचा है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले चुनाव की
भांति इस चुनाव में भी गुजरात चुनाव की कमान संभाल ली है। कांग्रेस में बिखराव और टूट जारी है। कांग्रेस से इस्तीफा देने के करीब दो सप्ताह बाद गुजरात के पूर्व मंत्री नरेश रावल और राज्यसभा के पूर्व सदस्य राजू परमार भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। दोनों नेता दशकों तक कांग्रेस के साथ रहे हैं। वे कुछ महीनों बाद होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए। कुछ अन्य नेताओं के भी भाजपा में जाने की खबरें गर्म है। कांग्रेस को उम्मीद है कि वह राज्य में बीजेपी के लंबे शासन काल को खत्म करने में सफल हो सकती है लेकिन चुनाव के पहले ही भाजपा ने कांग्रेस के अनेक नेताओं को तोड़ने में सफलता हासिल कर ली है। जबकि इस बार भाजपा को आम आदमी पार्टी की ओर से पेश एक नई चुनौती का भी सामना करना पड़ेगा। गुजरात प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का गृह क्षेत्र है जहाँ उनकी लोकप्रियता चरम पर है। हाल ही गुजरात चुनाव पर कई खबरिया चैनलों के सर्वे में भाजपा को मज़बूत स्थिति में दर्शाया गया है। यह भी बताया गया गुजरात चुनाव जीतने में भाजपा को कोई भी नहीं रोक पायेगा। सर्वे कहाँ तक खरा उतरेगा यह तो चुनाव परिणामों से ही पता चलेगा मगर इस सर्वे से भाजपा बाग़ बाग़ है।

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