जयपुर। ब्रिटिश गवर्नर लार्ड माउंटबेटन एवं अंग्रेज हुकूमत ने मोहम्मद अली जिन्ना की लाइलाज बीमारी कैंसर के बारे में पता था और इसलिए उन्होंने भारत का विभाजन लगभग 6 महीने पूर्व कर दिया था। यह कहना था पाकिस्तानी विशेषज्ञ एवं समीक्षक, तिलक देवेशर का। वे आज जयपुर के होटल हिल्टन में अपनी पुस्तक ‘पाकिस्तान: कोर्टिंग द अबिस’ के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे। यह पुस्तक विमोचन समारोह प्रभा खेतान फाउण्डेशन, वी केयर और रघु सिन्हा माला माथुर चेरिटी ट्रस्ट एवं होटल हिल्टन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। इस अवसर पर पुस्तक के लेखक ने पूर्व महानिदेशक, पुलिस, राजस्थान, ओमेंद्रं भारद्वाज के साथ इंटरेक्षन किया, जो मेयो कॉलेज, अजमेर में उनके क्लासमेट थे। लेखक ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कांग्रेस का कोई भी नेता जिन्ना की बीमारी के बारे में नहीं जानता था। मुंबई के उनके डॉक्टर ने भी जिन्ना की बीमारी कैंसर का खुलासा नहीं किया था। यदि कांग्रेस के नेताओं को जिन्ना की बीमारी के बारे में पता होता तो वे भारत का विभाजन कुछ और समय के लिये टाल देते। एक संयुक्त भारत के स्थान पर पाकिस्तान का निर्माण अंग्रेजों के हित में था। लेखक ने उपस्थित दर्शकों के सवालों के जवाब देकर वे उन्हें पाकिस्तान से रूबरू कराया। उन्होंने कहा कि धर्म का अवसरवादी उपयोग, ब्रिटिश पर निर्भरता, भारत के साथ समानता की मांग विशेष रूप से सैन्य क्षमता में, पाकिस्तान की अपनी असली पहचान प्राप्त होने में असमर्थता जैसे कारणों ने पाकिस्तान को एक प्रॉब्लम स्टेट बना दिया है। इसके अलावा, देष में तेजी से बढ़ रहे आतंकवाद एवं सेना के वचज़्स्व जैसे कारकों से इस देश के लोगों की मानसिकता में बदलाव नहीं आ पाया है और जो देश को पतन की ओर ले जा रहा है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि ‘डब्ल्यू.ई.ई.पी. – वीप’ फैक्टर जिसमें वाटर, एजुकेशन, इकोनॉमी, पापुलेशन आते हैं, पाकिस्तान के अस्तित्व पर प्रश्न उठा रहे हंै। पाकिस्तान कुशलता से पानी का उपयोग करने में असमर्थ है और पानी की कमी देश के लिए प्रमुख चिंता का विषय बन कर उभर रहा है। देवेशर ने आगे बताया कि पाकिस्तान में शिक्षा के क्षेत्र में निवेश की कमी बड़े पैमाने पर देष के युवाओं को आतंकवाद की ओर प्रेरित कर रही है। लेखक का मानना है कि देश में ही रसातल से बाहर लाने के लिए दूरदृष्टि और दृढ़ संकल्प की आवश्यकता है।

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