जयपुर। राजस्थान में मूंग उत्पादक किसानों के साथ हुये धोखे के विरोध में किसान महापंचायत और आम आदमी पार्टी प्रदेशव्यापी आंदोलन करेगी। इसके तहत जिला मुख्यालयों पर मूंग के साथ किसान प्रर्दशन करेंगे।
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष और आम आदमी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष रामपाल जाट कहा कि जब तक समर्थन मूल्य पर किसान का मूंग पूरा नहीं खरीदा जाता है, तब तक समर्थन मूल्य पर खरीद बंद नहीं होनी चाहिये। साथ ही समर्थन मूल्य का निर्धारण लागत मूल्य के डेढ़ गुणा अधिक पर होना चाहिये। लोकसभा में भी इसकी घोषणा कई बार हो चुकी है। इसके बाद भी इस व्यवस्था को लागू नहीं किया जाता। केवल कुछ दिन खरीद के लिये तय किये जाते है। इसी तरह समर्थन मूल्य भी काम कम होता है।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश में मूंग उत्पादक किसान सरकारी नीतियों के कारण खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। मूंग की सरकारी खरीद की घोषणा इन किसानों के लिये केवल छलावा साबित हुई है। स्थिति यह है कि मूंग की समर्थन मूल्य पर खरीद 90 दिन होनी चाहिये जो केवल 27 दिन करने के बाद 8 जनवरी 2019 को बंद कर दी गई। इसकी वजह से राजस्थान में 12.08 लाख क्विंटल मूंग में से मात्र 2.36 लाख टन मूंग ही समर्थन मूल्य पर खरीदा गया है। जो कुल उत्पादक का 20 फीसदी भी नहीं है। सरकार ने जिन किसानों का पंजीयन किया था उसमें से भी 52 हजार से ज्यादा किसान ऐसे हैं जिनकी फसल खरीदी ही नहीं गई। इतना ही नहीं बड़ी संख्या में किसान ऐसे भी हैं जिनका पंजीयन ही नहीं किया गया।
सरकार की इन स्थितियों की वजह से भारी मात्रा में किसानों की उपज खरीद से वंचित पड़ी है। अब किसान मजबूरी में इसे औने—पौने दामों पर बिचौलियों को बेचने पर मजबूर होंगे।
जाट ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार की इन नीतियों के विरोध में किसान एक जनवरी से आंदोलन कर रहे है। किसान हितैषी होने का दावा करने वाली प्रदेश की कांग्रेस सरकार किसानों के इस आंदोलन से बौखला रही है। अजमेर रोड पर महलां के नजदीक मूंग से भरे दर्जनों वाहन सरकार ने प्रदर्शन के डर से और किसानों पर दबाव बनाने के लिये रुकवा रखे है। सरकार का यह कदम लोकतंत्र के खिलाफ है। लोकतंत्र में अपनी बात कहने का सबको अधिकार है। उन्होंने कहा कि सरकार की इस हठधर्मिता के खिलाफ मूंग मार्च अब प्रदेशव्यापी होगा। इसके तहत किसान मूंग के साथ प्रदेश मुख्यालय और जिला मुख्यालयों प्रदर्शन करेंगे।
किसान नेता रामपाल जाट ने बताया कि एक तरफ तो सरकार समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं कर रही है और दूसरी तरफ जो समर्थन मूल्य तय किया है वह भी बहुत कम है। सरकारी आकलन के मुताबिक मूंग का लागत मूल्य 6000 रुपये प्रति क्विंटल है। इस हिसाब से समर्थन मूल्य इस लागत का डेढ गुणा यानि करीब 9000 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिये। सरकार ने 6975 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य घोषित किया है। ऐसे में समर्थन मूल्य पर भी मूंग बेचने पर भी घाटा हो रहा है। जबकि बाजार में मूंग खरीद मूल्य 3500 रुपये से 4000 रुपये प्रति क्विंटल है। इस तरह किसान को लागत से भी बहुत कम कीमत पर मूंग बेचने पर मजबूर होना पड़ेगा। यह किसानों के साथ अन्याय है।
किसान नेता रामपाल जाट ने बताया कि जयपुर जिले के दूदू उपखंड में 1.75 लाख क्विंटल मूंग उत्पादन हुआ है। इसमें से मात्र 7180 क्विंटल मूंग की खरीद हुई है। दूदू प्रदेश का सबसे बड़ा मूंग उत्पादक क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि जब यहां की स्थिति यह है तो प्रदेश के बाकी उत्पादक क्षेत्र में क्या हाल होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। यहां खरीद को प्रभावित करने के लिये नौकरशाही ने दूदू गौण मंडी से करीब आठ किलोमीटर दूर गिदानी गांव में छोटी सी सोसायटी के प्रांगण में खरीद केंद्र बनाया। जहां दो—तीन ट्रेक्टर ही आ सकते है। बाकी ट्रेक्टरों के साथ किसान गांव की गलियों में खड़े रहे।