जयपुर. जयपुर शहर में अगर आपके मोहल्ले या गली में खराब रोड लाइट ठीक करवानी है या किसी एरिया में सफाई करवानी है तो आपको उसके लिए लंबे समय तक इंतजार करना होगा। खराब सफाई व्यवस्था, रोड लाइट और जाम सीवरेज को ठीक करने के अपने मूल काम में जयपुर शहर की सरकार यानी नगर निगम फेल हो रहा है। यही कारण है कि यहां हर रोज कॉल सेंटर के जरिए सैंकड़ों लोग शिकायतें दर्ज तो करवा रहे हैं, लेकिन उनका निस्तारण नहीं हो रहा। हालात ये है कि अब इन शिकायतों का अंबार किसी कचरे के ढेर की तरह नगर निगम में लग गया है। नगर निगम के रिकॉर्ड को देखे तो अभी 7 हजार से ज्यादा शिकायतें पेंडिंग पड़ी है। इसमें सबसे ज्यादा 49 फीसदी शिकायतें तो केवल रोड लाइट सुधारने से संबंधित है।
लोगों की शिकायतों को सुनने और उनका घर बैठे निस्तारण करवाने के लिए जयपुर नगर निगम ग्रेटर की मुखिया मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर ने 1 जून से नगर निगम आपके द्वार अभियान भी चलाया, लेकिन उस अभियान की भी हवा निकल गई। नगर निगम कमीश्नर महेन्द्र सोनी ने भी हर मंगलवार को समीक्षा बैठक कर लोगों की शिकायतों के निस्तारण का रिव्यू करने का निर्णय किया, लेकिन उसका भी कोई असर नहीं दिखाई दे रहा हैं। आलम ये है कि शिकायतों की जो पेंडेंसी कम होनी चाहिए वो दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है। नगर निगम से मिली रिपोर्ट के मुताबिक 8 अगस्त तक कुल 7 हजार 56 शिकायतें पेंडिंग है, जिसमें से 3467 शिकायतें तो केवल स्ट्रीट लाइट के रखरखाव से संबंधित है। यानी लोगों के लिए अभी सबसे बड़ी समस्या यही है। बारिश के मौसम में लाइट खराब होने से गली-मोहल्लो में अंधेरा रहने लगता है, जिससे लोगों को परेशानी होती है। जयपुर शहर में नगर निगम ग्रेटर एरिया के सभी 150 वार्डो से ईईएसएल, ईएससीओ और नगर निगम के स्तर पर इन लाइटों के रखरखाव का काम किया जाता हैं।
जयपुर शहर में दूसरी सबसे बड़ी समस्या इन दिनों डोर टू डोर कचरा संग्रहण की है। लाइट के बाद सबसे ज्यादा शिकायतें 1365 शिकायतें है तो वह डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन से संबंधित है। ये सच भी है कि शहर में ठीक से सफाई नहीं हो रही और न कचरा कलेक्शन हो रहा। कई ऐसे एरिया है जहां कचरा कलेक्शन के लिए हूपर 3-4 दिन के अंतराल में आ रहे है। हूपर नहीं आने के कारण लोग सड़कों पर मजबूरन कचरा फेंक रहे है। यही कारण है कि जयपुर में अब पहले की तरह जगह-जगह कचरा ओपन डिपो फिर से दिखने लग गए, जिन पर 2-3 दिन में भी कचरा नहीं उठ रहा है। आपको बता दें कि जयपुर नगर निगम ग्रेटर सफाई व्यवस्था पर ही 370 करोड़ रुपए से ज्यादा की धनराशि खर्च करता है।
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