स्वस्थ बच्चे राष्ट्र की निधि हैं। अज्ञानता के कारण माता-पिता नन्हेशिशुओं की न तो उचित देखभाल कर पाते हैं ना ही प्रेग्नेंट महिलाएं अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देती हैं। इसके दुष्परिणाम यह होते हैं भारत में प्रति हजार 81 से 87 शिशुओं की डेथ हो जाती है। स्वीडन में यह दर 14.2, ऑस्ट्रेलिया में 19.1 तथा अमेरिका में 24.8 है। नवजात शिशु का सर्वश्रेष्ठ आहार मां का दूध है। मां के दूध में दुग्ध शर्करा, विटामिन सी, एन्जाइम, रोग प्रतिरोधक तत्व विटामिन ए, बी, समूह के सभी विटामिन लोहा एवं अन्य पोषक तत्व श्रेष्ठ गुणवत्ता के होते हैं। मां के दूध में एक प्रकार का बैक्टीरिया इंटरकोकस फेशियम पाया जाता है जो बच्चों की कैंसर से रक्षा करता है। बच्चे के बार-बार राेने पर दूध पिलाना सही नहीं है। स्वास्थ्य की दृष्टि से बच्चे को दूध पिलाने में करीब साढ़े तीन घंटे का अंतराल रखें। पहले 6 महीने के बाद आधा चम्मच शहद, 2 से 3 बूंद नींबू का रस ३५ मि.ली पानी में मिलाकर 3-3 घंटे के अंतराल में पिलाएं। 9 से 12 महीने में एक चम्मच शहद तथा 12 महीने के बाद 2 चम्मच शहद 5 से १० बूंद नींबू रस, 70 सी.सी. पानी में मिलाकर 3-३ घंटे के अंतराल पर पिलाएं। 12 महीने के बाद बच्चे को गाय या बकरी का दूध शुरू कर सकते हैं। बच्चे का लंबे समय तक मां का दूध पीना मां के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। ऐसी माताओं का पीरियड सही रहता है। वे जल्दी प्रेग्नेंट नहीं होतीं तथा हार्मोन स्राव व्यवस्थित होने से उनका ब्रेस्ट, यूटरस तथा ओवरी कैंसर, ब्लड प्रेशर एवं स्ट्रेस से बचाव होता है। फल एवं सब्जियों के रस : 6 माह के शिशु को एक से दाे चम्मच संतरे का रस दिन में तीन बार आधा चम्मच शहद के साथ मिलाकर दें। नौवें महीने में गाजर, टमाटर, सेब आदि फलों का रस व केला खिलाएं। नौ माह के बाद ठोस आहार जौ, गेहूं, चावल, दलिया, आलू, शकरकंद, लौकी, गाजर इत्यादि आवश्यकतानुसार दें। शिशु को नींबू पानी, शहद पिलाने के बाद मां का दूध पिलाएं, डेढ़ घंटे के बाद संतरे का रस दें। विटामिन डी की प्राप्ति के लिए सुबह की धूप में शिशु को लिटाकर मालिश करें। सिर को तौलिया से ढंक कर प्रतिदिन १५ से 30 मिनट तक धूप स्नान करवाएं। जन्म के तीसरे महीने से संतरे के रस में कॉड लीवर ऑयल मिलाकर समानुपात में एक चम्मच प्रतिदिन दें। इससे हड्डियों का विकास होता है।